सबरीमाला मामलाः तृप्ति देसाई ने कहा- सुप्रीम कोर्ट नहीं रह सका अपने फैसले पर कायम, महिलाओं की सुरक्षा सरकार करेगी तय
By रामदीप मिश्रा | Published: November 15, 2019 06:11 PM2019-11-15T18:11:36+5:302019-11-15T18:11:36+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश तथा दाऊदी बोहरा समाज में स्त्रियों के खतना सहित विभिन्न धार्मिक मुद्दे गुरुवार को नए सिरे से विचार के लिए सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिए।
सबरीमाला मामले को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ को भेज दिया है। इस बीच शुक्रवार को महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट अपने 2018 में दिए गए फैसले पर कायम नहीं रहा है। साथ ही साथ उन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के दौरान महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी इशारों ही इशारों में सवाल किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे में रहने वाली देसाई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला मामले पर अपने 2018 के फैसले पर कायम नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि क्या हमें सुरक्षा प्रदान की जाएगी, यह तय करने के लिए सरकार है। हम वहां जाएंगे। यह कहना कि हमें पुलिस सुरक्षा के लिए न्यायालय से आदेश प्राप्त करना चाहिए, तो यह न्यायालय के निर्णय का अनादर माना जाएगा।
Activist Trupti Desai: Supreme Court has not stayed 2018 #Sabarimala verdict. Whether we'll be provided protection is for government to decide but we'll go there. Saying that we should get an order from the court for police protection is disrespect to the judgement of the Court. pic.twitter.com/ZdwxJM2j48
— ANI (@ANI) November 15, 2019
इससे पहले बृहस्पतिवार को तृप्ति ने कहा था कि सबरीमला मंदिर के कपाट खुलने पर हमने वहां जाकर पूजा अर्चना करने का संकल्प लिया। जो लोग कहते हैं कि कहीं कोई भेदभाव नहीं है वे गलत हैं क्योंकि विशेष आयु वर्ग की महिलाओं को वहां जाने की अनुमति नहीं है। मैं 16 नवंबर को पूजा करने जा रही हूं।
देसाई ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा केरल के मशहूर अयप्पा मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटाने के बाद पिछले साल नवंबर में मंदिर में प्रवेश करने की नाकाम कोशिश की थी। कोर्ट ने सदियों पुरानी इस हिंदू प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश तथा दाऊदी बोहरा समाज में स्त्रियों के खतना सहित विभिन्न धार्मिक मुद्दे गुरुवार को नए सिरे से विचार के लिए सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिए।