राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामलाः सुप्रीम कोर्ट में CJI की अध्यक्षता में 11वें दिन सुनवाई हुई शुरू

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 23, 2019 11:27 IST2019-08-23T11:25:07+5:302019-08-23T11:27:22+5:30

Ayodhya Ram Temple-Babri Masjid land case: चार दीवानी मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 14 याचिकाएं दायर की गई हैं।

Supreme Court: Five judge Constitution bench begins today's hearing in Ayodhya Ram Temple-Babri Masjid land case | राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामलाः सुप्रीम कोर्ट में CJI की अध्यक्षता में 11वें दिन सुनवाई हुई शुरू

File Photo

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में शुक्रवार (23 अगस्त) को सुनवाई शुरू कर दी है। कोर्ट आज 11वें दिन सुनवाई कर रहा है। इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में शुक्रवार (23 अगस्त) को सुनवाई शुरू कर दी है। कोर्ट आज 11वें दिन सुनवाई कर रहा है। इस मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।   

बता दें, बीते दिन मूल याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने विवादित स्थल में पूजा करने का उसका अधिकार लागू किए जाने का अनुरोध किया था। मूल याचिकाकर्ताओं में शामिल गोपाल सिंह विशारद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने दलीलें पेश की थीं।

कुमार ने पीठ से कहा था कि मैं परासरण और वैद्यनाथन के अभ्यावेदनों के संदर्भ में अपना अभ्यावेदन दे रहा हूं कि यह जन्मस्थल अपने आप में एक दैवीय स्थल है और उपासक होने के नाते पूजा करना मेरा नागरिक अधिकार है जो छीना नहीं जाना चाहिए। 


दशकों पुराने विवाद के पक्षों में से एक पक्ष ‘राम लला विराजमान’ की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों के परासरण और सी एस वैद्यनाथन ने पीठ से इससे पहले कहा था कि अयोध्या में भगवान राम का जन्मस्थल अपने आप में एक दैवीय स्थल है और कोई भी महज मस्जिद जैसा ढांचा खड़ा कर इस पवित्र स्थल पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता।

वैद्यनाथन ने पीठ से कहा था कि न तो निर्मोही अखाड़ा और न ही मुस्लिम पक्ष प्रतिकूल कब्जा के कानूनी सिद्धांत के तहत अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर स्वामित्व अधिकार का दावा कर सकते हैं। विशारद ने विवादित स्थल पर पूजा-अर्चना के अपने अधिकार को लागू करने की मांग करते हुए 1950 में मुकदमा दायर किया था। 

चार दीवानी मामलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 14 याचिकाएं दायर की गई हैं। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बांटा जाए। दक्षिण पंथी कार्यकर्ताओं ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरा दी थी जिसके बाद से लंबी कानूनी लड़ाई आरंभ हुई। 
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर)

Web Title: Supreme Court: Five judge Constitution bench begins today's hearing in Ayodhya Ram Temple-Babri Masjid land case

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे