Gyanvapi survey: ‘‘जो आपके लिए तुच्छ है, वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था से जुड़ा मामला’’, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जानें मुख्य बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 5, 2023 15:11 IST2023-08-05T15:09:41+5:302023-08-05T15:11:54+5:30

Gyanvapi survey: शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी ‘शिवलिंग’ को फाउंटेन बताने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की दलीलों पर कहा, ‘‘जो आपके लिए तुच्छ है, वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था से जुड़ा मामला है।’’

Supreme Court does not stop Gyanvapi survey What is trivial for you, is a matter of faith for other party Supreme Court said plea ​​Anjuman Intezamia Masjid Committee | Gyanvapi survey: ‘‘जो आपके लिए तुच्छ है, वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था से जुड़ा मामला’’, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जानें मुख्य बातें

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Highlightsवाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी।मुस्लिम पक्ष ने शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान एएसआई सर्वेक्षण की कवायद को ‘पुराने घाव को हरा किया जाना’ बताया। क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है।

Gyanvapi survey: उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी।

इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने ज्ञानवापी ‘शिवलिंग’ को फाउंटेन बताने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की दलीलों पर कहा, ‘‘जो आपके लिए तुच्छ है, वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था से जुड़ा मामला है।’’ यद्यपि मुस्लिम पक्ष ने शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान एएसआई सर्वेक्षण की कवायद को ‘पुराने घाव को हरा किया जाना’ बताया।

सर्वेक्षण यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की तोड़फोड की कार्रवाई से मना कर दिया।

पीठ ने एएसआई और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया कि सर्वेक्षण के दौरान कोई खुदाई नहीं की जाएगी और न ही संरचना को कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा। पीठ ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर जनरल के जरिये एएसआई की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि (विवादित) स्थल पर कोई खुदाई किए बिना और संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना सर्वेक्षण का काम पूरा किया जाएगा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह नहीं कहा जा सकता कि सीपीसी (नागरिक प्रक्रिया संहिता) के आदेश 26 नियम 10ए के तहत निचली अदालत का आदेश प्रथमदृष्टया क्षेत्राधिकार के बिना है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के साक्ष्य मूल्य को मुकदमे में सुनवाई के दौरान परीक्षण से गुजरना है और इस पर जिरह करने और आपत्तियां दर्ज कराने का रास्ता अब भी खुला है। पीठ ने कहा, ‘‘अदालत को यह भी अधिकार है कि यदि वह आयुक्त की कार्यवाही से असंतुष्ट है, तो वह आगे उचित जांच का निर्देश दे सकती है।’’

न्यायालय ने कहा कि इसलिए, ऐसा नहीं समझा जाना चाहिए कि एएसआई की रिपोर्ट अपने आप में विवादग्रस्त मामलों का निर्धारण करती है। पीठ ने कहा, ‘‘अदालत की ओर से नियुक्त ‘कोर्ट कमिश्नर’ की प्रकृति और दायरे को ध्यान में रखते हुए हम उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से भिन्न होने में असमर्थ हैं...।’’

शीर्ष अदालत की पीठ ने बगैर तोड़फोड सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। आदेश में कहा गया है कि एएसआई की रिपोर्ट निचली अदालत को भेजी जाएगी और उस पर फैसला जिला न्यायाधीश द्वारा लिया जाएगा। सुनवाई के दौरान, मुस्लिम निकाय अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने न्यायालय से कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालना है और यह ‘‘अतीत के घावों को फिर से हरा करेगा।’’

मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि एएसआई की यह कवायद ‘‘इतिहास को कुरेदने’’, पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करने और भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता को प्रभावित करने के लिए की जा रही है।

पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। न्यायालय ने कहा, ‘‘आप एक ही आधार पर हर अंतरिम आदेश का विरोध नहीं कर सकते और आपकी आपत्तियों पर सुनवाई के दौरान फैसला किया जाएगा।’’ पीठ मस्जिद समिति की उन दलीलों से सहमत नहीं हुई कि हिंदू पक्ष की याचिका तुच्छ है।

अहमदी ने कहा, ‘‘यदि अब कोई आता है और एक तुच्छ याचिका दायर करके कहता है कि इस ढांचे के नीचे स्मारक है...तो क्या आप एएसआई सर्वेक्षण का आदेश दे देंगे।’’ इस पर पीठ ने कहा, ‘‘जो आपके लिए तुच्छ है वह दूसरे पक्ष के लिए आस्था का मामला है।’’ शीर्ष अदालत ने आगे कहा, ‘‘हिंदू पक्ष के लिए यह शिवलिंग है और आप कहते हैं कि यह फाउंटेन कहते हैं।’’

अहमदी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सर्वेक्षण आदेश पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, "एएसआई सर्वेक्षण का इरादा इतिहास खंगालकर यह जानने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था। यह अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा।’’ अहमदी ने कहा कि सर्वेक्षण पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है, जो 1947 में मौजूद धार्मिक स्थानों के चरित्र में बदलाव को निषिद्ध करता है।

वाराणसी की जिला अदालत ने 21 जुलाई को एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण का निर्देश दिया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई थी। इस फैसले को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन इसने बृहस्पतिवार को याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा था। 

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