सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर केंद्र से पूछा- क्या आजादी के 75 साल बाद भी देश को इसकी जरूरत

By विनीत कुमार | Published: July 15, 2021 01:58 PM2021-07-15T13:58:42+5:302021-07-15T14:17:51+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर राजद्रोह कानून के संबंध में पूछा है कि क्या इसकी अभी भी जरूरत है। कोर्ट ने इस कानून का दुरुपयोग होने को लेकर भी चिंता जताई।

Supreme Court asks SC is Sedition law still needed after 75 years of Independence | सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर केंद्र से पूछा- क्या आजादी के 75 साल बाद भी देश को इसकी जरूरत

राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल (फाइल फोटो)

Highlightsराजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस देकर पूछा- क्या देश को अभी भी इस कानून की जरूरत हैकोर्ट ने कहा- राजद्रोह कानून औपनिवेशिक काल का है और इसका इस्तेमाल महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजद्रोह कानून के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि 'आजादी के 75 साल बाद भी क्या इस कानून की जरूरत है'?

चीफ जस्टिस एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'राजद्रोह का कानून औपनिवेशिक काल का है इसे ब्रिटिश द्वारा इस्तेमाल किया जाता था ताकि आजादी की आवाज को दबाया जा सके और इसका इस्तेमाल महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ हुआ।' 

चीफ जस्टिस ने साथ ही कहा कि अगर आप इस धारा के तहत लगाए गए आरोपों को देखें तो ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर काफी कम है और इसका दुरुपयोग होता रहा है।

पीठ ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता ‘कानून का दुरुपयोग’ है और उसने पुराने कानूनों को निरस्त कर रहे केंद्र से सवाल किया कि वह इस प्रावधान को समाप्त क्यों नहीं कर रहा।  

इस बीच, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रावधान की वैधता का बचाव करते हुए कहा कि राजद्रोह कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ दिशानिर्देश बनाए जा सकते हैं। 

दरअसल, पीठ मेजर-जनरल (सेवानिवृत्त) एसजी वोम्बटकेरे की एक नई याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध है।

राजद्रोह कानून की वैधता को देखेगी कोर्ट

चीफ जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश राय की पीठ कहा कि वह राजद्रोह कानून की वैधता को लेकर अवलोकन करेगी। कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किसी बढ़ई को लकड़ी का एक टुकड़ा काटने के लिए कुल्हाड़ी देने जैसा है और मानो वो इसका इस्तेमाल पूरे जंगल को काटने के लिए कर रहा हो।

,कोर्ट ने कहा, 'किसी गांव में अगर एक पुलिस अधिकारी किसी को निशाना बनाना चाहता है तो वह सेक्शन 124 A का इस्तेमाल कर सकता है...लोग इससे डरे हुए हैं।' कोर्ट ने कहा राजद्रोह को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं हैं और इन सभी पर एक साथ सुनवाई होगी।

(भाषा इनपुट)

Web Title: Supreme Court asks SC is Sedition law still needed after 75 years of Independence

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