निकाह हलाला और बहुविवाह पर तुरंत सुनवाई के लिए SC तैयार, केंद्र को जवाब देने की दी अनुमति

By भाषा | Updated: July 2, 2018 13:47 IST2018-07-02T13:47:14+5:302018-07-02T13:47:38+5:30

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर की इस दलील पर गौर किया कि याचिकाओं को अंतिम फैसले के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। 

Supreme Court agrees for urgent listing of pleas against nikah halala and polygamy | निकाह हलाला और बहुविवाह पर तुरंत सुनवाई के लिए SC तैयार, केंद्र को जवाब देने की दी अनुमति

निकाह हलाला और बहुविवाह पर तुरंत सुनवाई के लिए SC तैयार, केंद्र को जवाब देने की दी अनुमति

नई दिल्ली, 02 जुलाईः सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में व्याप्त 'निकाह हलाला और बहुविवाह' प्रथाओं को चुनौती देने वाली अर्जियों को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सोमवार को सहमति जताई। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर की इस दलील पर गौर किया कि याचिकाओं को अंतिम फैसले के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। 

पीठ ने कहा कि हम इसे देखेंगे। दिल्ली के याचिकाकर्ताओं में से एक समीना बेगम की ओर से पेश अधिवक्ता शेखर और अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि उनकी मुवक्किल को धमकी दी जा रही है और कहा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय में 'निकाह हलाला और बहुविवाह' प्रथाओं को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वह वापस ले लें। 

इस बीच पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को इस याचिका पर जवाब दाखिल करने की अनुमति दी। 

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एक लोकपाल की नियुक्ति के मामले को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। एससी ने केन्द्र से कहा कि वह 10 दिन के भीतर देश में लोकपाल की नियुक्ति की समय सीमा तय कर उसे सूचित करें। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने सरकार से कहा कि देश में लोकपाल की नियुक्ति के लिए उठाए जाने वाले संभावित कदमों की जानकारी देते हुए 10 दिन के भीतर हलफनामा दायर करे। 

केन्द्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने लोकपाल की नियुक्ति के संबंध में सरकार की ओर से प्राप्त लिखित निर्देश सौंपे। पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 17 जुलाई तय की है। न्यायालय गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में 27 अप्रैल , 2017 के न्यायालय के आदेश के बावजूद लोकपाल की नियुक्ति नहीं किये जाने का मुद्दा उठाया गया है। 

न्यायालय ने पिछले वर्ष अपने फैसले में कहा था कि प्रस्तावित संशोधनों के संसद में पारित होने तक लोकपाल कानून को निलंबित रखना न्यायोचित्त नहीं है। 

Web Title: Supreme Court agrees for urgent listing of pleas against nikah halala and polygamy

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