महामारी के दौरान खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में 18 फीसदी की बढ़ोतरी, पीएम किसान योजना का नहीं मिलता लाभ
By विशाल कुमार | Updated: October 30, 2021 08:52 IST2021-10-30T08:46:39+5:302021-10-30T08:52:12+5:30
कुल मिलाकर साल 2019 में 10,281 की तुलना में साल 2020 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,667 लोगों ने आत्महत्या की जो कि देश में होने वाली कुल आत्महत्या का सात फीसदी है.

महामारी के दौरान खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में 18 फीसदी की बढ़ोतरी, पीएम किसान योजना का नहीं मिलता लाभ
नई दिल्ली: साल 2020 में आत्महत्या करके मरने वाले खेतिहर मजदूरों की संख्या में साल 2019 की तुलना में 18 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. हालांकि, इस दौरान कृषि योग्य भूमि वाले किसानों के आत्महत्या करने की संख्या में कमी दर्ज की गई.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के गुरुवार को जारी हुए आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर साल 2019 में 10,281 की तुलना में साल 2020 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,667 लोगों ने आत्महत्या की जो कि देश में होने वाली कुल आत्महत्या का सात फीसदी है.
इनमें से अधिकांश मौतें उन लोगों में से थीं जिनका प्राथमिक कार्य और आय का मुख्य स्रोत कृषि या बागवानी में श्रम गतिविधियों से आता है.
2020 में इन खेतिहर मजदूरों में से 5,098 की आत्महत्या से मृत्यु हुई, जो पिछले साल मरने वाले 4,324 से 18 फीसदी अधिक है.
हालांकि, अन्य मजदूरों की मदद के बिना या उनके समर्थन से खुद अपनी खेती करने वाले किसानों में आत्महत्या की संख्या 3.7 फीसदी गिरकर 5,129 से 4,940 हो गई.
वहीं, पट्टे पर दी गई जमीन पर खेती करने वाले काश्तकार किसानों में, आत्महत्याओं में 828 से 639 तक 23 फीसदी की गिरावट आई.
भूमिहीन मजदूरों को नहीं मिलता पीएम किसान योजना का लाभ
हालांकि, किसानों में आत्महत्या के कारणों के पीछे किसी खास वजह का पता नहीं चला.
लेकिन, भूमिहीन खेतिहर मजदूरों का प्रधानमंत्री किसान योजना जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिला जिसके कारण हो सकता है महामारी के दौरान उन्हें अधिक तनाव का सामना करना पड़ा हो.
महाराष्ट्र की हालत सबसे अधिक खराब
साल 2020 में कृषि क्षेत्र से जुड़ी 4006 आत्महत्याओं के साथ महाराष्ट्र सबसे खराब राज्यों में शीर्ष पर रहा और वहां खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.
साल 2020 में कर्नाटक में 43 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 2016 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की जबकि आंध्र प्रदेश में 14 फीसदी की कमी दर्ज की गई और मृतकों की संख्या 889 रही.
तमिलनाडु में साल 2019 में मात्र छह भूमि वाले किसानों की मौत हुई थी जबकि 2020 में यह संख्या 76 हो गई. मध्य प्रदेश में 735 कृषि मजदूरों की आत्महत्या से मृत्यु दर्ज की गई