सुब्रमण्यम स्वामी ने अर्थव्यवस्था पर घेरा मोदी सरकार को, बोले- "आर्थिक मोर्चे पर असफल है सरकार"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 6, 2023 12:50 PM2023-06-06T12:50:37+5:302023-06-06T12:54:32+5:30
सुब्रमण्यम स्वामी ने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था के लिए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। स्वामी ने आर्थिक विकास दर को लेकर सवाल खड़ा करते हुए अर्थव्यवस्था की तुलना नेहरू के जमाने से की है।
दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था के लिए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। स्वामी ने आर्थिक विकास दर को लेकर सवाल खड़ा करते हुए अर्थव्यवस्था की तुलना नेहरू के जमाने से की है। इतना ही नहीं स्वामी ने सरकार को आर्थिक मोर्चे पर असफल करार दिया है।
ट्विटर पर खासे सक्रिय रहने वाले सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करके कहा, "मैंने भारत के आर्थिक आंकड़ों का गहन विश्लेषण किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था के आभा या चमक की सारी बातें निराधार हैं। मैं जल्द ही ये आंकड़े पेश करूंगा। संक्षेप में जीडीपी की विकास दर माइनस कोरोना से रिकवरी 4% से भी कम है जो नेहरू काल में हासिल हुई थी।"
I have analysed the India’s economic statistics thoroughly. All the talk of India glowing or shining is baseless. I shall soon present these statistics. In brief the growth rate of GDP minus the recovery from Corona is less than 4 % which what achieved in the Nehru period.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 6, 2023
विदेश नीति से अर्थ नीति तक मोदी सरकार को घेरने में लगे रहने वाले सुब्रमण्यम स्वामी तो यहां तक कहते हैं कि मौजूदा मोदी सरकार की नीतियों ने यूपीए द्वारा की गयी अर्थव्यवस्था की गड़बड़ियों को और बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को अब भी सुधारा जा सकता है, लेकिन वर्तमान सरकार को यह पता नहीं है कि यह कैसे किया जाये। स्वामी अक्सर आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया है।
इतना ही नहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने न केवल अर्थ बल्कि सीमा मुद्दे और खासकर चीन सीमा विवाद पर भी मोदी सरकार की आलोचना कर चुके हैं। चीन के साथ सीमा पर हुई सैन्य झड़प के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने चीन को लेकर कहा था कि भारत के लोग भी तैयार हैं लेकिन इतना तय है कि हमें अपनों की जान के रूप में बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। लेकिन सरकार को बातचीत के साथ गलवान से चीनी सैनिकों के वापस भेजने के लिए संघर्ष भी करने की आवश्यकता है।