सुब्रमण्यम स्वामी ने तवांग विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किया हमला, बोले- "लगता है नेहरू की तरह उन्हें भी सुनाना पड़ेगा"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 13, 2022 14:00 IST2022-12-13T13:55:40+5:302022-12-13T14:00:11+5:30
सुब्रमण्यम स्वामी ने तवांग प्रकरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया है। स्वामी ने प्रश्न किया है कि क्या पीएम मोदी भी साल 1962 में चीनी हमले के बाद तत्कालीन पीएम नेहरू की हुई आलोचना की तरह अपने बारे में भी सुनना चाहते हैं।

फाइल फोटो
दिल्ली: भाजपा के पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तवांग प्रकरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। स्वामी ने साल 1962 में चीन के हाथों भारत की हुई पराजय और उसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की हुई आलोचना का हवाला देते हुए सवाल खड़ा किया है कि क्या नेहरू तरह पीएम मोदी भी देश से इस संबंध में अपनी आलोचना सुनना चाहते हैं, जैसा की पंडित नेहरू को सुननी पड़ी थी।
सुब्रमण्यण स्वामी ने नेहरू काल की परिस्थितियों का हवाला देते हुए पीएम मोदी की खिंचाई करते हुए ट्वीट करते हुए कहा, "1962 के लिए नेहरू को बहुत अपशब्द कहा गया था, क्या मोदी को भी उसी तरह के विशेषण से संबोधित किया जाना चाहिए?"
In 1962 Nehru was abused in colourful language. Should Modi be addressed with the same epithets?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 13, 2022
दरअसल गलवान के बाद चीन की फौज ने एक बार फिर वही हिमाकत करते हुए बीते 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग स्थित यंगस्ट में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार करने का प्रयास किया था, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम करते हुए उन्हें वापस उनकी सीमा में धकेल दिया था।
इस संबंध में रक्षा मंत्रालय की ओर से मिली जानकारी के अनुसार चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 300 जवानों ने हमारे इलाकों में घुसपैठ करने का प्रयास किया, जिसे एलएसी पर मौजूद भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया और उन्हें वापस उनकी सीमा में खदेड़ दिया गया है।
इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि उन्होंने घटना के बाद क्षेत्र में भारत के कमांडर ने शांति और शांति बहाल करने के लिए फ्लैग मीटिंग की है। अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अलग-अलग धारणा के क्षेत्र हैं, जहां दोनों पक्ष अपने दावे की सीमा तक क्षेत्र में गश्त करते हैं। 2006 से यह चलन है।
वहीं इस घटना के बाद विपक्षी दल नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि अगर चीनी सेना ने बीते 9 दिसंबर को भारत की सीमा में घुसपैठ का प्रयास किया था तो सरकार उस जानकारी को 2-3 दिनों तक क्यों दबाई रही। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि सरकार ने न केवल विपक्षी दलों बल्कि पूरे देश को अधेरे में रखने का काम किया है। सरकार को बताना चाहिए कि आखिर वो इस तरह की अप्रत्याशीत घटनाओं को किस प्रकार देख रही रहै और इस संबंध में किस तरह के सुरक्षात्म उपाय कर रही है।