बाला साहब के करीबी रहे शिव सेना के सुभाष देसाई ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए उनका राजनीतिक सफरनामा
By स्वाति सिंह | Updated: November 28, 2019 18:52 IST2019-11-28T18:52:07+5:302019-11-28T18:52:07+5:30
सुभाष देसाई की गिनती शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में होती है। 77 वर्षीय सुभाष देसाई पार्टी के बाला साहेब ठाकरे के बेहद करीब माने जाते थे। पिछली सरकार में देसाई के पास उद्योग मंत्रालय था।

महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य सुभाष देसाई गोवेगांव से 1990, 2004 और 2009 में विधायक रह चुके हैं।
महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अब खत्म हो गया है। गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथग्रहण का आयोजन शिवाजी पार्क में शाम 6 बजे से किया गया। उद्धव ठाकरे के साथ ही तीनों ही पार्टियों के दो-दो नेता शपथ लिया। यहां शिवसेना से सुभाष देसाई और एकनाथ शिंदे मंत्री पद की शपथ ली। जबकि एनसीपी से जयंत पाटिल और छगन भुजबल मंत्रीपद की शपथ ली। वहीं, कांग्रेस से बालासाहेब थोराट और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण शपथ ली। फिलहाल, उपमुख्यमंत्री पद के नाम सस्पेंस अब भी बरकरार है।
जानें कौन है सुभाष देसाई
सुभाष देसाई की गिनती शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं में होती है। 77 वर्षीय सुभाष देसाई पार्टी के बाला साहेब ठाकरे के बेहद करीब माने जाते थे। पिछली सरकार में देसाई के पास उद्योग मंत्रालय था। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत पत्रकारिता से की थी, लेकिन बाबा साहब के कहने पर उन्होंने राजनीति में कदम रखा। वे महाराष्ट्र विधानपरिषद के सदस्य हैं। महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य सुभाष देसाई गोवेगांव से 1990, 2004 और 2009 में विधायक रह चुके हैं। 2014 में महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री संभाल चुके हैं। विधानसभा में शिवसेना के विधायक दल के नेता भी सुभाष देसाई साल 2009 से 2014 के बीच रह चुके हैं।
विधायक/विधान परिषद सदस्य नहीं रहते हुए भी CM बनें उद्धव
तत्कालीन कांग्रेस नेता एवं मौजूदा राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम भी इन्हीं नेताओं में शुमार है। ठाकरे (59) यहां बृहस्पतिवार शाम को शिवाजी पार्क में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के साथ ऐसे आठवें नेता बन जायेंगे। संविधान के प्रावधानों के अनुसार कोई नेता यदि विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य नहीं है तो उसे पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होता है।
जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे। वसंतदादा पाटील एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे। निलंगेकर पाटील जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे जबकि शंकरराव चव्हाण जो उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे, मार्च 1986 में राज्य के शीर्ष पद पर आसीन हुए थे।
नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाईक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था। इसी तरह मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में पृथ्वीराज चव्हाण मंत्री थे लेकिन वह भी अशोक चव्हाण की जगह नवंबर 2010 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। अंतुले, निलंगेकर पाटील और शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे। अन्य चार नेताओं ने विधान परिषद का सदस्य बनकर संवैधानिक प्रावधान को पूरा किया था।