अमानवीय: बिहार के सरकारी अस्पतालों में किया जाता है भेंड-बकरियों की तरह महिलाओं का बंध्याकरण
By एस पी सिन्हा | Updated: November 15, 2022 18:35 IST2022-11-15T18:35:49+5:302022-11-15T18:35:49+5:30
मामला खगड़िया जिले के सरकारी अस्पतालों से सामने आया है, जहां निजी संस्था द्वारा सरकारी मापदंड व प्रावधान को ताक पर रख कर बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान महिलाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया।

अमानवीय: बिहार के सरकारी अस्पतालों में किया जाता है भेंड-बकरियों की तरह महिलाओं का बंध्याकरण
पटना:बिहार में सरकारी अस्पतालों में बंध्याकरण ऑपरेशन का ठेका देकर स्वास्थ्य विभाग सो गया। परिणाम यह सामने आ रहा है कि महिलाओं का बंध्याकरण ऑपरेशन भेंड-बकरियों की तरह किया गया। यह मामला खगड़िया जिले के सरकारी अस्पतालों से सामने आया है, जहां निजी संस्था द्वारा सरकारी मापदंड व प्रावधान को ताक पर रख कर बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान महिलाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया।
अलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को बंध्याकरण शिविर के दौरान सर्जरी के लिए पहुंची 23 महिलाओं को बगैर सुन्न का इंजेक्शन दिए ही सर्जरी कर दी गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दौरान सर्जरी कराने वाली महिलाएं चीखती-चिल्लती और दर्द से छटपटाती रही। चिल्लाने पर चार पांच लोग हाथ पैर पकड़ कर मुंह दबा दे रहे थे। हाथ-पांव पटकती रही। लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों ने उन लोगों के हाथ-पांव पकड़ कर सर्जरी का काम पूरा कर दिया।
इसके पहले परबत्ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एफआरएचएस नामक निजी संस्था द्वारा ऑपरेशन के दौरान खुलकर लापरवाही सामने आई। गड़बड़ी से जुड़े वीडियो वायरल भी हुए। ऑपरेशन के दौरान महिलाओं ने अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया है। वहीं, प्रसव कराने आयी महिला का वायरल वीडियो सरकारी अस्पतालों में एनजीओ/निजी संस्था द्वारा किये जा रहे बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान धांधली की पोल खोल रहे हैं।
यही नहीं यहां आईं महिलाओं को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया नहीं कराई गई। ऑपरेशन इसतरह से किया गया, जैसे कि यातना केन्द्र में उन्हें यातना दी जा रही हो। ऑपरेशन कराने आई इन महिलाओं की फिक्र न तो बंध्याकरण शिविर के आयोजकों की थी और न ही डॉक्टरों को थी।
परबत्ता सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजीव रंजन ने भी माना कि इस तरह एक साथ दो दर्जन से अधिक महिलाओं को बेहोशी का इंजेक्शन देकर लिटाना गलत है। पहली गलती थी, इसलिये चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, आगे से इस तरह की लापरवाही सामने आयेगी तो कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जायेगा।