SSLC Results: एक नंबर से रुक रही थी टॉप रैंक, लड़की ने लड़ी जंग और बन गई स्टेट टॉपर
By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: May 22, 2019 20:31 IST2019-05-22T20:31:10+5:302019-05-22T20:31:10+5:30
प्रगति ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''मुझे कन्नड़ में 625 अंकों की उम्मीद थी। मुझे आत्मविश्वास था के मैंने पेपर में एक भी गलती नहीं की है। मैंने आंसर स्क्रिप्ट की फोटोकॉपी के लिए आवेदन किया और देखा कि एक प्रश्न का मूल्यांकन नहीं हुआ था। इसलिए मैंने कॉपी को दोबारा जांचने के लिए प्रार्थना पत्र दिया।''

प्रगति एम गौड़ा (बीच में) (Image Source: Facebook/GIO Karnataka)
Secondary School Leaving Certificate (SSLC) की परीक्षा में कर्नाटक के हासन की रहने वाली छात्रा प्रगति एम गौड़ा का स्टेट टॉपर बनने का सपना एक नंबर से टूट रहा था। विजया हाई स्कूल की प्रगति को यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह एक नंबर से टॉप रैंक हासिल करने से चूक रही हैं। प्रगति को पूरा आत्मविश्वास था कि उन्होंने सारे प्रश्नों के सही उत्तर दिए हैं, एक नंबर कटने का सवाल ही नहीं उठता। छात्रा को उस वक्त बड़ी हैरानी हुई जब उसने फोटोकॉपी के लिए आंसर स्क्रिप्ट मांगी और उस पर नजर डाली। एक नंबर कन्नड़ भाषा के पेपर में कटा था।
प्रगति ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''मुझे कन्नड़ में 625 अंकों की उम्मीद थी। मुझे आत्मविश्वास था के मैंने पेपर में एक भी गलती नहीं की है। मैंने आंसर स्क्रिप्ट की फोटोकॉपी के लिए आवेदन किया और देखा कि एक प्रश्न का मूल्यांकन नहीं हुआ था। इसलिए मैंने कॉपी को दोबारा जांचने के लिए प्रार्थना पत्र दिया।''
छात्रा ने आगे कहा, ''जब स्कैन्ड कॉपी आई तो देखा कि चार अंक के एक प्रश्न के लिए मुझे तीन अंक दिए गए थे। मैंने अपने शिक्षकों से सलाह-मश्विरा किया और यह सुनिश्चित कर लिया कि मेरा उत्तर सही था तो कॉपी को दोबारा जांचने के लिए अप्लाई किया।''
आखिर इस लड़ाई में प्रगति की जीत हुई। कॉपी दोबारा जांचे जाने के बाद उन्हें वह एक अंक भी मिल गया और कन्नड़ भाषा के पेपर में उनके 625 में 625 अंक हो गए। प्रगति ने बेंगलुरु की श्रुजना डी और कुमता की नागांजलि के साथ साझा रूप से राज्य में पहली रैंक हासिल की है।
प्रगति ऐरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपना भविष्य देख रही हैं। वह बताती हैं कि उनकी सफलता का श्रेय उनके माता-पिता और शिक्षकों को जाता है। प्रगति के मुताबिक, ''शिक्षकों द्वारा निर्धारित टाइम टेबल के अनुसार मैं दिन में साढ़े तीन घंटे पढ़ती थी। परीक्षा पास आईं तो पढ़ाई के समय में इजाफा किया जिसने मुझे मदद की।''
प्रगति के मुताबिक उनकी रोल मॉडल सुधा मूर्ति हैं और वह भी समाज सेवा के कार्यों में लगना चाहती हैं। अपनी सफलता के लिए प्रगति सोशल मीडिया से दूर रहने का भी कारण बताती हैं।
कर्नाटक में एसएसएलसी के परिणाम बीते 30 अप्रैल को जारी हुए थे। 825486 स्टूडेंट्स ने परीक्षा दी थी। 73.70 फीसदी बच्चे पास हुए थे।