केंद्र और कुछ राज्य संशोधित नागरिकता कानून (सीएए)और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की दिशा में बढ़ सकते हैं. चूंकि केरल, पश्चिम बंगाल जैसे कई गैर भाजपा शासित राज्यों ने सीएए और इससे जुड़े एनआरसी को लागू करने में अनिच्छा जताई है, इसलिए केंद्र सरकार एक नई मशीनरी बनाने पर विचार कर रही है. नॉर्थ ब्लॉक स्थित केंद्रीय गृह मंत्रालय से छनकर आने वाली रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सीएए और एनआरसी को लागू करने के लिए अपने अधिकारियों को नामित करेगा.
केंद्र जिला कलेक्टरों या जिला मजिस्ट्रेटों के बदले इस कवायद की जिम्मेदारी विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों (एफआरआरओ) को सौंप सकता है. हो सकता है कि केंद्र अपने कदमों में नरमी का संकेत दे रहा हो, लेकिन सीएए , एनआरसी या एनपीआर में बदलाव की उसकी कोई योजना नहीं है. एनआरसी को देशभर में लागू करने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है.
झारखंड में एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एनआरसी को लागू किया जाएगा. हालांकि यह काफी लंबा समय है, लेकिन केंद्र ने देशभर में एनआरसी की कवायद में नरमी नहीं बरत रही है. विदेशियों की ओर से पेश दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन एफआरआरओ करते हैं. देश में 12 एफआरआरओ हैं.
गृह मंत्रालय इन विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों को देशभर में स्थापित करने और दस्तावेजों के सत्यापन के लिए अपनी मशीनरी उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है. ऐसे हालात में जबकि बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश कानून लागू करने में आनाकानी कर रहे हैं और केरल बता रहा है कि वह राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को भी लागू नहीं करेगा, केंद्र जनगणना और एनआरसी के लिए अपनी स्थायी मशीनरी तैयार कर रहा है.
राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी बहुत पुरानी कवायद है जिसे देश के रजिस्ट्रार जनरल (आरपीआई) नागरिकता कानून 1955 के तहत राज्य सरकारों की मदद से प्रत्येक 10 वर्षों में करती आई है. रजिस्ट्रार जनरल इस साल जुलाई में असम को छोड़कर पूरे देश में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक एनपीआर कराने के संबंध में अधिसूचना जारी किया था. 2021 में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) उपलब्ध होने के बाद ही एनसीआर पर अमल होगा.
15 राज्यों में नहीं होगी परेशानी :
केंद्र केवल आनाकानी करने वाले राज्यों के लिए वैकल्पिक मशीनरी बनाने में व्यस्त है. 15 राज्योंं में भाजपा का शासन है. ज्यादातर केंद्र शासित प्रदेश भी उसके नियंत्रण में हैं. केंद्र इन राज्यों में मौजूदा केंद्र जिला मजिस्ट्रेटों (डीएम) और जिला कलेक्टरों (डीसी) की मदद से जनगणना और नागरिकता संबंधी कवायद कर सकता है, लेकिन बाकी राज्यों में उसे अपने अधिकारियों को नामित करना होगा.