चाचा शिवपाल से मिलने पहुंचे सपा अध्यक्ष अखिलेश, 'तय' हुई गठबंधन की बात
By भाषा | Updated: December 16, 2021 20:51 IST2021-12-16T20:51:26+5:302021-12-16T20:51:26+5:30

चाचा शिवपाल से मिलने पहुंचे सपा अध्यक्ष अखिलेश, 'तय' हुई गठबंधन की बात
(शिवपाल यादव के ट्वीट के साथ)
लखनऊ, 16 दिसंबर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कभी प्रतिद्वंदी रहे अपने चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के मुखिया शिवपाल सिंह यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की और इस दौरान दोनों दलों के बीच गठबंधन की बात 'तय' हुई।
अखिलेश ने शिवपाल के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, "प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है । यह सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।"
शिवपाल ने भी वही तस्वीर टैग करते हुए ट्वीट किया, "आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उनके साथ आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई।"
आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सपा सूत्रों के मुताबिक अखिलेश करीब चार बजे शिवपाल के आवास गए और दोनों के बीच लगभग 40 मिनट तक बातचीत हुई। इस दौरान शिवपाल के घर के बाहर बड़ी संख्या में सपा और प्रसपा के कार्यकर्ता मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात से पहले ही सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव शिवपाल के घर में मौजूद थे।
हालांकि अखिलेश और शिवपाल ने गठबंधन कर चुनाव लड़ने के संकेत जरूर दिए हैं लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कुछ भी आधिकारिक तौर पर नहीं कहा गया है।
शिवपाल ने पिछली 22 नवंबर को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर सपा से आगामी विधानसभा चुनाव में 403 में से 100 सीटें मांगी थी। हालांकि सपा के सूत्रों के मुताबिक पार्टी शिवपाल के दल को करीब 10 सीटें ही देने को तैयार है।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल के बीच तल्खी अपने चरम पर पहुंच गई थी और दोनों के बीच मनमुटाव प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के गठन के साथ अंजाम तक पहुंच गया था।
वर्ष 2016 के अंत में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा तथा कैबिनेट मंत्री शिवपाल के बीच सत्ता और संगठन पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी। इसके बाद अखिलेश ने शिवपाल तथा उनके विश्वासपात्र मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था।
विधानसभा चुनाव से ऐन पहले एक जनवरी 2017 को अखिलेश को सपा अध्यक्ष बना दिया गया था। बाद में शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था।
हालांकि शिवपाल शुरू से ही सभी समाजवादियों के एकजुट होने की पैरवी कर रहे थे और उन्होंने सपा से गठबंधन का संदेश भी कई बार पहुंचाया था। अखिलेश ने भी विभिन्न मौकों पर कहा कि वह सरकार बनने पर चाचा और उनके सहयोगियों का पूरा सम्मान रखेंगे। मगर उन्होंने गठबंधन के बारे में अपना रुख कभी स्पष्ट नहीं किया था।
इस साल मई में हुए पंचायत चुनाव में इटावा में सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी साथ मिलकर मैदान में उतरे थे। इस दौरान 24 में से 18 वार्ड में उन्हें सफलता मिली थी जबकि भाजपा मात्र एक सीट ही जीत सकी थी।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शिवपाल और अखिलेश की इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया "साल 2022 में एक बार फिर 300 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा की सुशासन वाली सरकार बनने जा रही है। चाचा भतीजे मिलें, चाहे बुआ भतीजे मिलें, चाहे कांग्रेस और सपा मिलें या फिर सारे मिल जाए तब भी खिलना तो कमल ही है।"
सपा से अलग होकर नई पार्टी बनाने के बाद शिवपाल ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद से सपा प्रत्याशी अक्षय यादव को चुनौती दी थी हालांकि शिवपाल 90 हजार से कुछ अधिक वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे लेकिन इससे हुए नुकसान के कारण सपा को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी।
पिछले लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी भले ही अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी लेकिन उसने अनेक सीटों पर सपा प्रत्याशियों का नुकसान किया था।
विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू होने के बीच शिवपाल ने एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के साथ बैठकें की थीं। यहां तक कि वह कांग्रेस के भी संपर्क में रहे।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी चुनौती पेश करने का दावा कर रहे अखिलेश राष्ट्रीय लोक दल और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ पहले ही गठबंधन कर चुके हैं।
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