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जल्द आपकी मांग पर चलेगी रेलगाड़ी, प्रतीक्षा सूची के झंझट से मुक्त, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्ग परः रेलवे

By भाषा | Updated: September 17, 2019 19:42 IST

समर्पित माल गलियारे (डीएफसी) के 2021 तक बनने के बाद ऐसा हो सकेगा। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने कहा कि इन दो मार्गों पर समर्पित माल गलियारे का निर्माण 2021 तक पूरा होने से मालगाड़ियां मौजूदा रेललाइनों से हट जाएंगी, जिससे उन पर अधिक यात्री रेलगाड़ियां चलाई जा सकेंगी।

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ठळक मुद्देतो दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा की मौजूदा लाइनों से मालगाड़ियां पूरी तरह हट जाएंगी।इस रूट पर (रेलगाड़ियों की गति) बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने को पहले ही मंजूरी मिल गई है और ये काम अगले चार साल में पूरा हो जाए

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रेलवे अलगे चार साल में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर “मांग के आधार पर” यात्री रेलगाड़ी चला सकेगी, जो प्रतीक्षा सूची के झंझट से मुक्त होगी।

समर्पित माल गलियारे (डीएफसी) के 2021 तक बनने के बाद ऐसा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इन दो मार्गों पर समर्पित माल गलियारे का निर्माण 2021 तक पूरा होने से मालगाड़ियां मौजूदा रेललाइनों से हट जाएंगी, जिससे उन पर अधिक यात्री रेलगाड़ियां चलाई जा सकेंगी।

उन्होंने बताया, “जब इन दो मार्गों पर डीएफसी का काम पूरा हो जाएगा, तो दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा की मौजूदा लाइनों से मालगाड़ियां पूरी तरह हट जाएंगी। तब हम मांग पर यात्री गाड़ियां चला सकेंगे। इस रूट पर (रेलगाड़ियों की गति) बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने को पहले ही मंजूरी मिल गई है और ये काम अगले चार साल में पूरा हो जाएगा।”

यादव ने कहा, “इसलिए अगले चार साल में मालभाड़ा और यात्री रेलगाड़ियां मांग के आधार पर चला सकेंगे और इसका अर्थ है कि हम आवागमन की जरूरतें पूरी कर सकेंगे। इन मार्गों पर अगले चार साल के अंदर कोई प्रतीक्षा नहीं होगी।”

उन्होंने कहा कि उत्तर-दक्षिण (दिल्ली-चेन्नई), पूर्व-पश्चिम (मुंबई-हावड़ा) और खड़गपुर-विजयवाड़ा समर्पित माल गलियारे पर काम चल रहा है और अगले एक साल के भीतर लोकेशन सर्वे का काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया, “ये डीएफसी करीब 6,000 किलोमीटर लंबे होंगे और इन्हें अगले 10 साल में पूरा किया जाएगा।

जब ये काम हो जाएगा, हमारे पास बहुत अधिक क्षमता होगी और हम कई रेलगाड़ियां चला सकेंगे।” यादव ने कहा, “इसलिए समय के साथ हमारे पास इतनी अधिक क्षमता होगी कि हम निजी संचालकों को भी शामिल कर सकते हैं और उत्पादन इकाइयों का निगमितीकरण भी किया जा सकता है। ताकि देश में 160 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाले आधुनिक डिब्बे उपलब्ध हो सकें और साथ ही हम उनका निर्यात भी कर सकें।” 

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