दिल्ली के वाशिंदों को अभी और स्मॉग के साये में रहना पड़ सकता है। इस बार बीते तीन सालों में स्मॉग की अवधि सबसे लंबी हो सकती है। दिवाली के बाद से दिल्ली की हवा में बढ़ता प्रदूषण राजधानी का दम घोंट रहा है। स्मॉग से दृश्यता में कमी आई है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (सीएसई) ने प्रदूषण के डाटा का विश्लेषण कर ये संभावना व्यक्त की है। संस्था ने सरकार द्वारा दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के उठाए गए कदमों को भी अपर्याप्त बताया है।
अगले तीन दिनों तक स्मॉग के बने रहने के आसार
दिल्ली के लोग फिलहाल बीते छह दिनों से दिल्ली की जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं और अगले तीन दिनों तक यहां वातावरण में स्मॉग के बने रहने की संभावना जताई गई है। विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र के मुताबिक वर्ष 2018 और वर्ष 2020 में पहला स्मॉग का समय लगातार छह दिन तक चला था। जबकि, वर्ष 2019 में पहला स्मोग एपीसोड लगातार आठ दिनों तक चला था।
पिछले साल की अपेक्षा 7 फीसदी ज्यादा प्रदूषण
वर्तमान में जो दिल्ली की आबोहवा की स्थिति है उसका विश्लेषण करने के बाद विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र यह अनुमान लगाया है कि इस बार स्मॉग की अवधि बीते तीन सालों से ज्यादा रह सकती है। संस्था के मुताबिक इस बार के स्मॉग एपीसोड में वर्ष 2018 की तुलना में नौ फीसदी ज्यादा, वर्ष 2019 की तुलना में 3 फीसदी ज्यादा और वर्ष 2020 की तुलना में 7 फीसदी ज्यादा प्रदूषण है।
पराली जलावन से बढ़ा प्रदूषण
हालांकि दिल्ली सरकार दिल्ली के वायु प्रदूषण करने के लिए कई कदम उठाएं हैं, परंतु अब तक लोगों को इससे राहत नहीं मिली है। दिवाली के ठीक बाद यहां की हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पहुंच गया था। हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के द्वारा खेतो में पराली जलाने से यह प्रदूषण बढ़ा था। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स में दिल्ली को 'गंभीर श्रेणी' में रखा गया था।