छत्तीसगढ़ में स्मार्ट फोन टैपिंगः सीएम ने दिए जांच के आदेश, समिति गठित, कुछ लोगों के फोन हुए टैप
By भाषा | Published: November 11, 2019 03:38 PM2019-11-11T15:38:24+5:302019-11-11T15:38:24+5:30
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लिया है और कॉल टैप किए जाने को नागरिकों की स्वतंत्रता के हनन से जुड़ा प्रश्न बताया है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने शिकायतों की जांच के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में कुछ व्यक्तियों की स्मार्ट फोन कॉल अवैध रूप से टैप किए जाने के मामले की जांच के लिए प्रमुख गृह सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लिया है और कॉल टैप किए जाने को नागरिकों की स्वतंत्रता के हनन से जुड़ा प्रश्न बताया है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने शिकायतों की जांच के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel has directed to form a 3-member committee, under the chairmanship of Principal Secretary Home, to look into the matter of phone tapping. The committee will conduct detailed investigation of the complaints&present a report within one month.(file pic) pic.twitter.com/3C8TCCm6pY
— ANI (@ANI) November 11, 2019
उन्होंने बताया कि समिति घटना की विस्तृत जांच कर एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। पुलिस महानिदेशक समिति को जांच के लिए सभी आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार को समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों से जानकारी मिली थी कि राज्य के कुछ व्यक्तियों के स्मार्ट फोन अवैध रूप से टैप किए गए हैं।
पिछले महीने 31 अक्टूबर को फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सएप ने कहा था कि अज्ञात संस्थाओं ने इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करते हुए भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की थी। इससे नागरिकों की निजता भंग हुई।
वहीं, छत्तीसगढ़ के पांच पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया था कि उनकी फोन कॉल अवैध रूप से टैप करने की कोशिश की गई है। इस मामले की जांच के लिए समिति गठित होने की सूचना पर मानवाधिकार कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने इसे मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया महत्वपूर्ण कदम बताया है।
शुक्ला ने कहा कि यह पता लगाना जरूरी है कि इजराइली कंपनी एनएसओ ने पेगासस को किसके लिए विकसित किया था तथा किसके कहने पर लोगों को निशाना बनाया गया और किसने इसकी अनुमति दी थी। यह नागरिकों की निजता के हनन का मामला है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री बघेल के इस कदम का स्वागत करते हैं।