नाम में क्या रखा, काम कर जनता को दिखाएं?, चुनावी लोकतंत्र में कोई भी हाथ मिला सकता?, उद्धव और राज ठाकरे पर खुलकर बोले शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 10, 2025 21:10 IST2025-08-10T21:09:22+5:302025-08-10T21:10:32+5:30

लोग काम को पहचानते हैं, ‘नाम’ को नहीं। लोगों ने पहचान लिया है कि कौन उनके लिए काम करता है और कौन घर पर बैठता है।

Shiv Sena chief Eknath Shinde spoke openly Uddhav Thackeray Raj Thackeray People recognize work not 'name' anyone shake hands anyone in electoral democracy? | नाम में क्या रखा, काम कर जनता को दिखाएं?, चुनावी लोकतंत्र में कोई भी हाथ मिला सकता?, उद्धव और राज ठाकरे पर खुलकर बोले शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे

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Highlightsयह कहना गलत होगा कि ठाकरे भाई अलग हो गए थे।राज ठाकरे को शिवसेना से निकाल दिया गया था।कल्याण के बारे में सोचते हैं।

नई दिल्लीः महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा कि वर्षों पहले अलग हुए चचेरे भाइयों-उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का एक साथ आना “लोकतंत्र के लिए अच्छा” है, लेकिन इससे यह मजबूत संदेश भी गया है कि जनता उन लोगों का समर्थन करती है, जो उनके कल्याण के लिए काम करते हैं। शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने एक समय अपने चचेरे भाई राज को दरकिनार कर दिया था, जो 2005 में नाटकीय ढंग से शिवसेना से बाहर हो गए थे, ऐसे में दोनों का फिर से एक साथ आना विडंबनापूर्ण है। उन्होंने कहा, “यह कहना गलत होगा कि ठाकरे भाई अलग हो गए थे।

राज को शिवसेना से निकाल दिया गया था। जिन लोगों ने उनके (राज के) प्रभाव पर सवाल उठाए थे, वही लोग अब फिर से हाथ मिलाने की सोच रहे हैं। यह अच्छी बात है। चुनावी लोकतंत्र में कोई भी किसी से भी हाथ मिला सकता है।” शिंदे ने कहा कि कोई भी कहीं भी जा सकता है, यह उनकी निजी पसंद है, लेकिन जनता उन लोगों का समर्थन करती है, जो उनके लिए काम करते हैं और उनके कल्याण के बारे में सोचते हैं। उन्होंने उद्धव की तरफ इशारा करते हुए कहा, “लोग काम को पहचानते हैं, ‘नाम’ को नहीं। लोगों ने पहचान लिया है कि कौन उनके लिए काम करता है और कौन घर पर बैठता है।

लोग उन लोगों को घर पर बैठा देते हैं, जिन्हें घर पर बैठना पसंद है।” शिंदे ने लगभग तीन साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (अविभाजित), कांग्रेस और राकांपा (अविभाजित) की महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार से यह कहते हुए बगावत कर दी थी कि उद्धव ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व सिद्धांत को त्याग दिया है।

उन्होंने जून 2022 में शिवसेना (अविभाजित) के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोग से मुख्यमंत्री बने थे। बाद में निर्वाचन आयोग ने उनके नेतृत्व वाले गुट को ‘असली’ शिवसेना का दर्जा दे दिया था। ठाकरे बंधुओं ने पिछले महीने मुंबई में एक ‘विजय रैली’ के लिए मंच साझा किया था, जब महाराष्ट्र सरकार ने अपनी विवादास्पद त्रिभाषा नीति को वापस ले लिया था, जिसके तहत प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी सीखना अनिवार्य कर दिया गया था। शिंदे ने कहा, “लोकतंत्र में कोई भी गठबंधन बना सकता है।

मैं इस मुद्दे पर किसी की आलोचना नहीं करने जा रहा हूं। लेकिन मैं केवल यह कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे ढाई साल के कार्यकाल के दौरान मैंने और देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई और महाराष्ट्र के विकास के लिए कई फैसले लिए।” उद्धव के उन्हें ‘गद्दार’ कहने के बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा कि वह उद्धव ही थे, जिन्होंने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों के साथ विश्वासघात किया। उन्होंने कहा, “वह मेरे लिए जिस ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं, वह वास्तव में उन्हीं पर बिल्कुल फिट बैठता है।

2019 में लोगों ने भाजपा और शिवसेना को जनादेश दिया था। उन्होंने (उद्धव ठाकरे) उस जनादेश को धोखा दिया और कांग्रेस व (अविभाजित) राकांपा से हाथ मिला लिया। असली दोषी वह हैं।” शिंदे ने कहा कि उद्धव ने 2019 में जनादेश का अपमान किया था और मतदाताओं ने उन्हें 2024 के विधानसभा चुनावों में अच्छा सबक सिखाया। 

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया है, जबकि पहलगाम हमले के साजिशकर्ताओं को ऑपरेशन महादेव के तहत मार गिराया गया। यहां सेना अस्पताल में आयोजित रक्तदान शिविर कार्यक्रम से इतर शिवसेना नेता ने पत्रकारों से कहा कि इस अभियान में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। शिंदे ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया... हमारी बहनों का सिंदूर छीनने वालों का ऑपरेशन महादेव से सफाया कर दिया गया।’’

उन्होंने कहा कि रक्तदान शिविर में एक हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। शिंदे ने कहा, ‘‘यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने सशस्त्र बलों के लिए रक्तदान किया है। जब भी सेना को रक्त की आवश्यकता होगी, शिवसेना रक्तदान के लिए तैयार रहेगी।’’ इससे पहले, शहर पहुंचने पर कुछ महिलाओं ने शिंदे की कलाई पर राखी बांधी। 

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