दिल्ली के जंतर मंतर पर गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की नेता शेहला राशिद ने भारतीय सेना पर लगाए गए आरोपों को लेकर कहा कि उनके पास सबूत मौजूद है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक शेहला ने कहा कि जब भारतीय सेना जब जांच का गठन करेगी तब मैं सबूत दूंगीं।'
दरअसल, शेहला ने भारतीय सेना पर बेवजह कश्मीरियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। शेहला राशिद ने इसे लेकर कई ट्वीट किए थे। उन्होंने लिखा था कि भारतीय सेना कश्मीरियों को बेवजह प्रताड़ित कर रही है। युवा लड़कों को पूछताछ के लिए उठाया जा रहा है और उन्हें जमकर टॉर्चर किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने लिखा था- 'आर्मी के जवान लोगों के घरों में रात को जबरन घुस रहे हैं। लड़कों को उठा रहे हैं। घर के राशन को जमीन पर बिखेर रहे हैं। चावल में तेल मिला रहे हैं।'
शेहला राशिद के आरोपों को भारतीय सेना ने किया खारिज
भारतीय सेना ने शेहला राशिद के आरोपों को खारिज करते हुये कहा है कि यह आरोप आधारहीन हैं। हम इन्हें खारिज करते हैं। गलत इरादे वाले लोग और संगठन जनता को भड़काने के इरादे से इस तरह की फर्जी खबरें फैलातें हैं।
भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को वापस लेते हुए जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया है। राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया है।
बता दें कि दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी के नेतृत्व में विपक्षी दल जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में शामिल नेताओं की मांग है कि जम्मू-कश्मीर में नजरबंद किए गए नेताओं को रिहा किया जाए। प्रदर्शन में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, राजद नेता मनोज झा, सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी और वृंदा करात, समाजवादी पार्टी नेता राम गोपाल यादव और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट पार्टी की शेहला राशिद शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर को विशेष ओहदा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को बीते दिनों नरेंद्र मोदी सरकार ने संशोधित कर दिया था। इससे पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और उमर अबदुल्ला को नजरबंद किया गया था। वहीं, पूर्व सीएम फारूक अबदुल्ला ने दावा किया था कि उन्हें भी नजरबंद किया गया था लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि उन्हें जबदस्ती सदन में तो लाया नहीं जा सकता।