शरद पवार की राकांपा का कांग्रेस में विलय संभव!
By शीलेष शर्मा | Updated: June 1, 2019 05:09 IST2019-06-01T05:09:49+5:302019-06-01T05:09:49+5:30
लोकमत ने जब इस बावत राहुल गांधी के एक निकट सूत्र से चर्चा की तो उसने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इस विलय का होना सुनिश्चित है लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह विलय कितने दिनों में होता है.

शरद पवार और राहुल गांधी की फाइल फोटो।
शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस का जल्दी ही कांग्रेस में विलय होने के संकेत है. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस दिशा में दोनों दलों ने इस बावत बातचीत की है लेकिन बातचीत में अभी यह साफ नहीं है कि विलय के बाद दोनों दलों के राज्यस्तरीय नेताओं में काम का विभाजन कैसे होगा.
लोकमत ने जब इस बावत राहुल गांधी के एक निकट सूत्र से चर्चा की तो उसने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इस विलय का होना सुनिश्चित है लेकिन यह कहना मुश्किल है कि यह विलय कितने दिनों में होता है.
पार्टी के इस वरिष्ठ नेता ने साफ किया कि राहुल और शरद पवार के बीच कल हुई बातचीत में इस बावत कोई चर्चा नहीं हुई है क्योंकि इस मुद्दे पर चर्चा पहले ही की जा चुकी है. दोनों नेताओं के बीच गजब की कैमिस्ट्री होने का दावा करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र से जिस तरह के परिणाम आये है उसने कांग्रेस और राकांपा को इस दिशा में सोचने के लिए मजबूर कर दिया है.
इन चर्चाओं का बाजार गर्म होते ही राजनीतिक हलकों में यह बात भी कही जा रही है कि राहुल पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के लिए जिस तरह अड़े है उससे इस बात की प्रबल संभावना बनती जा रही है कि वे राकांपा का कांग्रेस में विलय कराकर अध्यक्ष का पद वरिष्ठ नेता शरद पवार को सौंप दे.
लेकिन राहुल के निकट सूत्रों का कहना था कि राहुल जब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लेते तब तक इस तरह के कयास लगाना बेमानी है. उनका दावा था कि वर्तमान हालातों में कांग्रेस के बाहर से किसी व्यक्ति के पार्टी में शामिल होने के बाद अध्यक्ष पद संभालने की बात समझ से परे है. इस नेता ने फिलहाल एक महीने तक प्रतीक्षा करने की बात कहकर संकेत दिए कि राहुल के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद नया अध्यक्ष कौन होगा यह फैसला भी राहुल की ओर से आएगा और तब तक सभी को प्रतीक्षा करनी चाहिए.
कांग्रेस और राकांपा के विलय के बाद कांग्रेस लोकसभा में नेता विपक्ष का पद हासिल करने में कामयाब हो जाएगी क्योंकि उसके पास 52 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है जबकि राकांपा के पास लोकसभा में 5 सदस्य है. नेता विपक्ष के लिए 54 सदस्य होने आवश्यक है जो आंकड़ा राकांपा के कांग्रेस में शामिल होने पर आसानी से हासिल किया जा सकता है और राहुल नेता विपक्ष हो सकते है. पार्टी के कुछ नेताओं का मानना था कि पवार को राकांपा के विलय के बाद पार्टी का अध्यक्ष और राहुल को नेता विपक्ष बनाकर संसद के अंदर और संसद के बाहर कांग्रेस बेहतर ढंग से मुद्दों को उठा सकेगी.