"पति द्वारा पत्नी संग बनाए गये यौन संबंध रेप नहीं है, वह चाहे प्राकृतिक हो या फिर अप्राकृतिक हो", इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 11, 2023 10:29 AM2023-12-11T10:29:54+5:302023-12-11T10:33:43+5:30
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में दायर एक केस में सुनवाई करते हुए कहा वैवाहिक रिश्ते में बलात्कार जैसे शब्द की कोई जगह नहीं है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद के मामले में दायर एक केस में सुनवाई करते हुए कहा वैवाहिक रिश्ते में बलात्कार जैसे शब्द की कोई जगह नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बालिग पत्नी से बनाए गये यौन संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता, वह चाहे प्राकृतिक हो या फिर अप्राकृतिक हो। इसके लिए पति को न दोषी माना जा सकता है न दंडित किया जा सकता है।
जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पत्नी से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और दहेज उत्पीड़न के आरोपों के लिए जेल में सजा भोग रहे एक पति को दोषमुक्त दिया। जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट द्वारा सुनाया गया यह फैसला गाजियाबाद के लिंकरोड थाने से जुड़ा है।
वर्ष 2012 में आरोपी की शादी हुई, इसके बाद पत्नी ने वर्ष 2013 में पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाते हुए दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौन शौषण का आरोप लगाते हुए निचली अदालत में केस दायर किया।
निचली अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए पीड़िता के पक्ष में फैसला दिया और आरोपी पति को तीन साल कारावास की सजा सुनाई और साथ में तीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। उस सजा के खिलाफ आरोपी पति ने उपरी अदालत में अपील दाखिल की।
उपरी अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए दहेज बलात्कार के आरोपों से मुक्त कर दिया लेकिन अप्राकृतिक यौन के आरोप में सुनाई गई निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा। उसके बाद आरोपी पति ने मामले में हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर करके फैसले को चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि यदि पत्नी बालिग है तो पति को इस तरह के आरोप में दंडित नहीं किया जा सकता, क्योंकि वर्तमान समय में भारतीय दंड संहिता के किसी कानून में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़िता के जेल में बंद आरोपी पति को अप्राकृतिक यौन शौषण के आरोप से बरी कर दिया। कोर्ट ने इस आरोप में बरी करने का तर्क देते हुए कहा कि इस देश में अभी तक वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली तमाम याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसलिए जब तक सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामले में कोई फैसला नहीं देता, तब तक पति द्वारा बालिग पत्नी से बनाए गए अप्राकृतिक यौन संबंध को भी अपराध की श्रेणी में रखते हुए दंडित नहीं किया जा सकता है।