मुजफ्फरपुर कांड का खुलासा करने वाले तारिक आए सामने, कही ये बड़ी बात   

By रामदीप मिश्रा | Published: August 12, 2018 03:41 PM2018-08-12T15:41:28+5:302018-08-12T15:41:28+5:30

बालिका गृह यौन शोषण मामला तब प्रकाश में आया, जब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई थी। टिस ने 7 महीनों तक 38 जिलों के 110 संस्थानों का सर्वेक्षण किया।

Set up a central agency like the EC to conduct social audit of shelters says Mohammad Tarique | मुजफ्फरपुर कांड का खुलासा करने वाले तारिक आए सामने, कही ये बड़ी बात   

मुजफ्फरपुर कांड का खुलासा करने वाले तारिक आए सामने, कही ये बड़ी बात   

पटना, 12 अगस्तः बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न के मामले को उजागर करने वाली टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की रिपोर्ट ने सभी को हिलाकर रख दिया। रिपोर्ट के सामने आने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने आश्रय गृह यौन उत्पीड़न कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर हिरासत में लिया और मामले की तह तक जाने की कोशिश में जुटी हुई है। 

इधर, टीओई की खबर के अनुसार, टिस की ऑडिट टीम का नेतृत्व करने वाले मोहम्मद तारिक का कहना है कि की पूरे देश में सभी संस्थानों (बालिका गृहों) की सोशल ऑडिट एक स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी के माध्यम से हो। आश्रयों की सोशल ऑडिट के लिए चुनाव आयोग की तरह केंद्रीय एजेंसी की स्थापना की जाए। 

वहीं, उनका कहना है कि नियमित निगरानी प्रक्रियाओं में बच्चों की प्रतिक्रिया को एक आवश्यक घटक बनाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, किसी भी संगठन का मूल्यांकन पुनर्वास की दर पर आधारित होना चाहिए, न कि उनकी वित्तीय या प्रशासनिक क्षमता पर। 

इसके अलावा तारिक से जब पूछा गया कि आपने उन युवा लड़कियों का विश्वास कैसे जीता जिन्होंने यौन उत्पीड़न का का सामना किया था। इस पर उन्होंने कहा कि जब हम वहां गए तो कुछ भी नहीं जानते थे कि क्या हो रहा है। यह महत्वपूर्ण था कि बच्चे हम पर भरोसा करें। हमने उनसे अधिकार जमा कर बात नहीं की, लेकिन एक दोस्त के रूप में बात की जो उन्हें सुरक्षित रखना चाहता था। हमने कभी उनकी पृष्ठभूमि के बारे में पूछताछ नहीं की क्योंकि यह व्यक्तिगत हो सकता है और बच्चे को परेशान कर सकता है। इसके बजाय, हमने जीवन के बारे में बात की। अगर हमने देखा कि कोई असामान्य रूप से शांत हो गया है, तो हम उस बच्चे को अलग ले गए और जांच की।

उल्लेखनीय है कि बालिका गृह यौन शोषण मामला तब प्रकाश में आया, जब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई थी। टिस ने 7 महीनों तक 38 जिलों के 110 संस्थानों का सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण में एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि शोषण की शिकार हुई सभी बच्चियां 18 साल से कम उम्र की हैं। इनमें भी ज्यादातर की उम्र 13 से 14 साल के बीच है। इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न में बाल कल्याण समिति के सदस्य और संगठन के प्रमुख भी बच्चियों के शोषण में शामिल थे।

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Web Title: Set up a central agency like the EC to conduct social audit of shelters says Mohammad Tarique

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