Sengol-Sansad-Siyasat: संविधान बनाम सेंगोल का सियासी संग्राम, संसद से सेंगोल हटाने के लिए देशव्यापी अभियान चलाएंगे आरके चौधरी! 

By राजेंद्र कुमार | Updated: June 29, 2024 15:37 IST2024-06-29T15:36:14+5:302024-06-29T15:37:45+5:30

Sengol-Sansad-Siyasat: सेंगोल का अर्थ राजदंड होता है. इसलिए संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित करने की मांग की है.

Sengol-Sansad-Siyasat Parliament Session pm narendra modi bjp vs sp Constitution RK Choudhary will launch nationwide campaign remove Sengol from Parliament | Sengol-Sansad-Siyasat: संविधान बनाम सेंगोल का सियासी संग्राम, संसद से सेंगोल हटाने के लिए देशव्यापी अभियान चलाएंगे आरके चौधरी! 

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HighlightsSengol-Sansad-Siyasat: सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है.Sengol-Sansad-Siyasat: देशव्यापी अभियान चलाएंगे.Sengol-Sansad-Siyasat: प्रोटेम स्पीकर को लिखे पत्र में हटाने की मांग की है.

लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) के मोहनलालगंज सीट से सांसद आरके चौधरी शनिवार को दिल्ली से लखनऊ पहुंचे. फिर हमेशा की तरह उन्होने अपने आवास पर पहुंचे लोगों की समस्याओं को सुना और उन्हें दूर कराने का आश्वासन दिया. इसी दरमियान उन्होंने बताया कि संसद में लगे सेंगोल को हटाने की मांग किस वजह से की. आरके चौधरी के अनुसार, सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. भारत में राजतंत्र नहीं है, लोकतंत्र है. इसलिए उन्होंने प्रोटेम स्पीकर को लिखे गए पत्र में संसद से सेंगोल को हटाने की मांग की है. पत्र में साफ शब्दों में लिखा है कि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है.

सेंगोल का अर्थ राजदंड होता है. इसलिए संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित करने की मांग की है. आरके चौधरी का कहना है, अपनी इस वाजिब मांग को सरकार से मनवाने के लिए अब वह देशव्यापी अभियान चलाएंगे.

ऐसे उछला सेंगोल का प्रकरण

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जुझारू नेता के रूप में जाने जाने वाले आरके चौधरी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. उन्होने कांशीराम के साथ काम किया. चार बार विधायक और मंत्री रहे आरके चौधरी केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर को 70 हजार से ज्यादा के वोटों के अंतर से हराकर सांसद बने हैं.

गत 25 जून को स्पीकर/ प्रोटेम स्पीकर को एक पत्र लिख कर एक नया सियासी संग्राम छेड़ दिया. इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि आज मैंने इस सम्मानित सदन में शपथ ली. मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा, लेकिन सदन के आसन के दाहिनी ओर सेंगोल को देखकर मुझे आश्चर्य हुआ.

महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का पवित्र ग्रंथ है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. सांसद ने कहा कि हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है. किसी राजे-रजवाड़े का महल नहीं. मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि सेंगोल को संसद भवन से हटाया जाए और उसकी जगह भारतीय संविधान की एक विशाल प्रति स्थापित की जाए.

उनके इस पत्र के उजागर होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तरफ से सपा पर निशाना साधा गया. सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संसद से सेंगोल को हटाए जाने की मांग करना सपा नेताओं की अज्ञानता को दर्शाता है. सेंगोल भारत का गौरव है. यह सम्मान की बात है कि पीएम मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया.

जबकि संसद में सेंगोल का विरोध कर रही सपा पर बसपा मुखिया मायावती भड़क गईं और उन्होने सोशल मीडिया पर लिखा कि सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं लगाना, इस पर बोलने की बजाय सपा के लिए बेहतर होता कि वह देश के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के हितों में तथा आम जनहित के मुद्दों को लेकर केन्द्र सरकार को घेरती. 

यह करना चाहते हैं आरके चौधरी

सेंगोल को लेकर शुरू हुई हुए सियासी संग्राम पर शनिवार को आरके चौधरी से जब सवाल हुआ तो उन्होने कहा कि भाजपा हिंदू और मुसलमानों को बांटने और राजतंत्र की पैरवी करने वाली राजनीति करती है. आज भारत में राजतंत्र नहीं, लोकतंत्र है. देश में संविधान को मानने वाले भी हैं और राजतंत्र के भी. ऐसे में हमें माहौल में देश ही संसद में संविधान की प्रति रखवाना हमारा लक्ष्य है.

बाबा साहब अंबेडकर और मान्यवर कांशीराम ने संविधान के जरिए ही राजतंत्र को मुख्यधारा से बाहर किया था. अब देश ही संसद में राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल रखा गया हैं, इसे हटाने के लिए अब हम देशभर में लोगों को एकजुट करने में जुटेंगे. माहौल बनाए जरूरत हुई तो दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दूंगा. आरके चौधरी का कहना है कि जल्दी ही वह पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से इस मामले में चर्चा करेंगे.

इसके बाद संविधान बनाम सेंगोल का सियासी संग्राम देश भर में शुरू करेंगे. आरके चौधरी का कहना है कि सेंगोल के खिलाफ अपने सियासी अभियान में वह गांव-गांव जाकर लोगों को बताएंगे कि कैसे केंद्र सरकार फिर से राजतंत्र के उन प्रतीकों को सम्मान देने में जुट गई हैं, जिनकी खिलाफत बाबा साहब और मान्यवर कांशीराम ने संविधान के जरिए की थी. 

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