बोधगया में बोले बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, स्वार्थ में सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है, दूसरों के प्रति रखें सहानुभूति

By एस पी सिन्हा | Published: January 2, 2020 05:36 PM2020-01-02T17:36:20+5:302020-01-02T17:39:09+5:30

दलाई लामा ने कहा कि मन शुद्ध होने के लिए सबसे पहले हमारे चित्त का शुद्ध होना अत्यंत जरूरी है. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का प्रवचन सुनने के लिए कालचक्र मैदान मे 40 हजार से अधिक श्रद्धालु जुटे हैं.

Selfishness cannot be happiness says dalai lama in bodhgaya bihar | बोधगया में बोले बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, स्वार्थ में सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है, दूसरों के प्रति रखें सहानुभूति

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Highlightsबिहार के बोधगया में स्थित बौद्ध मंदिर के कालचक्र मैदान में बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा का आध्यात्मिक प्रवचन आज से शुरू हो गया. प्रवचन देते हुए बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि 'स्वार्थ में सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है.

बिहार के बोधगया में स्थित बौद्ध मंदिर के कालचक्र मैदान में बौद्ध धर्मगुरु 14वें दलाई लामा का आध्यात्मिक प्रवचन आज से शुरू हो गया. इस दौरान प्रवचन देते हुए बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि 'स्वार्थ में सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है.' उन्होंने दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने की सलाह दी. 

बौद्ध धर्मगुरु ने कहा कि दुःख और सुख आपके मन पर निर्भर करता है. मानव को मानसिक सुख की चिंता करनी चाहिए क्योंकि, शारीरिक सुख तो पशु भी चाहते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में हजारों वर्षों से करुणा और अहिंसा का मार्ग प्रचलित है. इस कारण परहित की चिंता करनी चाहिए. उन्होंने भिक्षुओं को भी शील और समाधि पर ध्यान देने की नसीहत दी. 

दलाई लामा ने कहा कि मन शुद्ध होने के लिए सबसे पहले हमारे चित्त का शुद्ध होना अत्यंत जरूरी है. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का प्रवचन सुनने के लिए कालचक्र मैदान मे 40 हजार से अधिक श्रद्धालु जुटे हैं. विशेष शैक्षणिक सत्र में शामिल होने भूटान, नेपाल, तिब्बत, अमेरिका, जापान, रूस, इंडोनेशिया, जर्मनी, कम्बोडिया, स्पेस, कोरिया, चीन, मंगोलिया, हंगरी, थाईलैंड सहित करीब 47 देशों के 35 हजार बौद्ध श्रद्धालु बोधगया पहुंचे हैं. 

कालचक्र मैदान में बने भव्य पंडाल को आकर्षक तरीकों से सजाया गया है. साथ ही महाबोधि मंदिर से कालचक्र मैदान सहित आसपास इलाके को अभेद्य किले में तब्दील कर दिया गया है. 

आज अहले सुबह से ही कालचक्र मैदान में अलग-अलग गेटों से श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू हो गया था. ठिठुरन भरी ठंड में भी कालचक्र मैदान में आज सुबह आस्था, विश्वास और दलाई लामा को साक्षात देखने की उमंग देखते ही बन रही थी. घड़ी की सुइयों ने 8 बजाया कि दलाई लामा सफेद रंग की एंबेसडर कार से कालचक्र मैदान पहुंचते हैं. हाथ जोड़े, कमर झुकाकर हजारों लोग एक साथ उनके स्वागत में में खड़े हो गए. 

इस दौरान सुत्त पाठ जारी हो जाता है. दलाई लामा बैठे सभी श्रद्धालुओं का अभिवादन करते हैं. इस क्रम में जिन श्रद्धालुओं का हाथ दलाई लामा के हाथों का स्पर्श हो जाता है तो वे अपने को सौभाग्यशाली मानते है. आंखों आंसू लिए, सर को झुकाए हुए और हाथ जोड धर्मगुरु का अभिवादन किया. धर्मगुरु को सुनने के लिए लामा, भिक्षुणी और श्रद्धालु भारी संख्या में जुटे. साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों और यूरोप से भी दलाई लामा के अनुयायी धर्मगुरु का प्रवचन सुनने के लिए यहां पहुंचे हैं.

Web Title: Selfishness cannot be happiness says dalai lama in bodhgaya bihar

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