अटॉर्नी जनरल ने राजद्रोह कानून खत्म न करने की सिफारिश की, मामला बड़ी पीठ को भेजने पर 10 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

By विशाल कुमार | Published: May 5, 2022 01:12 PM2022-05-05T13:12:15+5:302022-05-05T13:14:08+5:30

शीर्ष अदालत ने अब मामले की सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख निर्धारित की है जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर एक बड़ी पीठ द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए।

sedition-law-supreme-court-constitutional-validity-may-10 | अटॉर्नी जनरल ने राजद्रोह कानून खत्म न करने की सिफारिश की, मामला बड़ी पीठ को भेजने पर 10 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

अटॉर्नी जनरल ने राजद्रोह कानून खत्म न करने की सिफारिश की, मामला बड़ी पीठ को भेजने पर 10 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Highlightsसुप्रीम कोर्ट दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत इस विषय पर 1962 के फैसले के मद्देनजर फैसला लेगी। पीठ ने केंद्र से 9 मई तक मामले पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।

नई दिल्ली: भारत के अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) केके वेणुगोपाल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि राजद्रोह कानून को खत्म नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि दुरुपयोग के संबंध में केवल दिशानिर्देश निर्धारित किए जाने चाहिए। वेणुगोपाल ने कहा कि किसकी मंजूरी है, क्या अस्वीकार्य है और क्या देशद्रोह के तहत आ सकता है, यह देखने की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने अब मामले की सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख निर्धारित की है जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर एक बड़ी पीठ द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत इस विषय पर 1962 के फैसले के मद्देनजर फैसला लेगी। पीठ ने केंद्र से 9 मई तक मामले पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार दोनों को अपनी दलीलें देने को कहा कि क्या इसे 7 मई तक एक बड़ी पीठ को सौंपने की जरूरत है।

बता दें कि, सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ सेना के पूर्व सेवानिवृत्त अधिकारी एसजी वोम्बटकेरे और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा दायर दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 

पिछले साल जुलाई में याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए सीजेआई रमना ने प्रावधान के कथित दुरुपयोग का जिक्र करते हुए पूछा था कि क्या औपनिवेशिक कानून, स्वतंत्रता के 75 साल बाद अभी भी आवश्यक है।

सीजेआई ने  पूछा था कि इस कानून को लेकर विवाद इस बात से संबंधित है कि यह एक औपनिवेशिक कानून है। यह स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए था। महात्मा गांधी, तिलक आदि को चुप कराने के लिए अंग्रेजों ने उसी कानून का इस्तेमाल किया था। क्या आजादी के 75 साल बाद भी यह जरूरी है?

उन्होंने कहा कि इस कानून की विशाल शक्ति की तुलना एक बढ़ई से की जा सकती है जिसे एक वस्तु बनाने के लिए आरी दी जाती है, लेकिन वह इसका उपयोग एक पेड़ के बजाय पूरे जंगल को काटने के लिए करता है। यह इस प्रावधान का प्रभाव है।

Web Title: sedition-law-supreme-court-constitutional-validity-may-10

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे