SC/ST एक्ट को लेकर बीजेपी में भी मतभेद, पुनर्विचार याचिका दायर करने की बढ़ रही है मांग
By पल्लवी कुमारी | Published: March 23, 2018 01:03 AM2018-03-23T01:03:42+5:302018-03-23T01:03:42+5:30
विपक्ष और कांग्रेस इस मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस ने पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्हें इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए।
नई दिल्ली, 23 मार्च; सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति SC/ST (Prevention of Atrocities) अधिनियम 1989 में यह साफ किया था कि इस मामले में अब ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी। इस कानून को लेकर जहां अब तक सिर्फ विपक्षी पार्टी कांग्रेस बीजेपी का विरोध कर रही थी, वहीं बीजेपी में भी इस कानून को लेकर एकमत नहीं है।
बीजेपी के कुछ नेता इस कानून से खुश नहीं हैं। इसी वजह से बीजेपी के कुछ नेताओं की यह मांग है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए। बीजेपी नेताओं का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से SC/ST कानून हल्का हो गया है। जिसको लेकर बीजेपी के कुछ दलित और आदिवासी समुदाय के कुछ नेताओं ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरूण जेटली और सामाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत से मुलाकात कर अपनी बात रखी है।
बीजेपी के एस टी मोर्चा के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार से उनकी मांग है कि वह सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ एक रिव्यू पिटीशन दायर करें। वहीं, जेपी के सहयोगी दल भी पार्टी से कानून पर पुनर्विचार करने की बात कही है।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रामदास अठावले ने कहा है कि अमित शाह ने बताया है कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की समीक्षा कर रहे हैं। वहीं, इस मामले में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान और एक दलित संगठन ने पुनर्विचार के लिए यथा शीघ्र याचिका दायर करने का केन्द्र से अनुरोध किया है। रामविलास पासवान ने कहा कि शीर्ष अदालत के इस फैसले से अनुसूचित जाति और जनजातियों में बहुत अधिक नाराजगी है और सरकार को जल्द पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए। पासवान ने कहा कि इस मामले में उनकी पार्टी भी पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
विपक्ष और कांग्रेस के नेता इस मामले को लेकर सीधे रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस नेता पी एल पुनिया ने पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्हें इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और सरकार का इसपर क्या सोचना है, इसे जल्दी उजागर करना चाहिए।
गौरतलब है कि 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार से संबंधित मामले में अग्रिम जमानत दी जाने की बात कही है। अग्रिम जमानत हर मामले में नहीं लेकिन जिस मामले में जरूरी हो वहां अग्रिम जमानत दी जा सकती है। इसके लिए किसी वरिष्ठ अधिकारी से सहमती लेना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है।