बिहार में अंचलाधिकारी को डांटना मंत्री जी को पड़ा महंगा, जिले के प्रभार से कर दिए गए चलता
By एस पी सिन्हा | Updated: August 29, 2023 14:35 IST2023-08-29T14:28:11+5:302023-08-29T14:35:32+5:30
बिहार में एक अंचलाधिकारी को डांटना मंत्री जी को बेहद भारी पड़ गया। उनका जिला प्रभार किसी अन्य मंत्री को देकर उन्हें चलता कर दिया गया है।

बिहार में अंचलाधिकारी को डांटना मंत्री जी को पड़ा महंगा, जिले के प्रभार से कर दिए गए चलता
पटना:बिहार में एक अंचलाधिकारी को डांटना मंत्री जी को बेहद भारी पड़ गया। मंत्री से डांट खाने के बाद अंचलाधिकारी ने ऐसी चाल चली की मंत्री जी को उस जिले के प्रभारी मंत्री पद से हटाते हुए दूसरे जिले में भेज दिया गया है और इसमें कोई लंबा वक्त भी नहीं लगा।
जानकारी के अनुसार दिन में मंत्री जी ने अंचलाधिकारी को डांट पिलाई और रात में मंत्री जी को चलता कर दिया गया। लोग इसे ही अफशरशाही कह रहे हैं। वह भी उस मंत्री की विदाई की गई, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं।
दरअसल, जमुई जिले के प्रभारी मंत्री के नाते भवन निर्माण मंत्री जिले के दौरे पर गए थे। सोमवार को वह लोगों के शिकायत सुन रहे थे। इसी क्रम में उनके पास वहां के अंचलाधिकारी की बड़े पैमाने पर शिकायत सामने आई। इसके बाद प्रभारी मंत्री अशोक चौधरी ने वहां के सीओ को जमकर फटकार लगाई। अशोक चौधरी ने सीओ से कहा कि आपके खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे काम नहीं चलेगा।
उन्होंने सीओ को बुलाया और डीएम से पूछा कि इन्हीं की शिकायत हैं ना? फिर अशोक चौधरी कहने लगे कि सरकार के पैसे से पेट नहीं भरता? जेल जाना है आपको? कितना दिन हो गया है, जेल जाना चाहते हैं, इतनी शिकायत है आपकी। मंत्री ने सीओ से कहा कि गलतफहमी में मत रहिए, गलत काम करिएगा, प्राथमिकी भी करवाएंगे और गिरफ्तार कराके जेल भी भेजेंगे। जनता को परेशान मत कीजिए। यह लास्ट वॉर्निंग दे रहे हैं।
अशोक चौधरी ने सभी के सामने सीओ अरविंद कुमार की जमकर क्लास लगाई। लेकिन जमुई जिला प्रभारी मंत्री को सीओ से भिड़ना महंगा पड़ गया। इसके बाद रातों रात जमुई जिले का प्रभार उनसे छीन लिया गया। जमुई की जगह उन्हें समस्तीपुर जिले का प्रभारी बनाया गया है। वही, जमुई की बागडोर अब मंत्री श्रवण कुमार को सौंपा गया है।
मंत्रिमंडल सचिवालय ने इसे लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है। बता दें कि भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी मंत्रियों में से एक हैं। बावजूद इसके अफसरशाही के आगे वह टिक नहीं पाए। दो-तीन घंटे में ही चलता कर दिए गए।