ओडिशा के ‘काले बाघों’ का आखिर क्या है रहस्य, वैज्ञानिकों ने उठाया इस राज से पर्दा

By भाषा | Updated: September 15, 2021 14:44 IST2021-09-14T20:01:26+5:302021-09-15T14:44:49+5:30

नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरू की वैज्ञानिक उमा रामकृष्णन और उनके छात्र विनय सागर के नेतृत्व में एक टीम ने ये खोज की है।

Scientists claim to solve mystery of Odisha's black tigers | ओडिशा के ‘काले बाघों’ का आखिर क्या है रहस्य, वैज्ञानिकों ने उठाया इस राज से पर्दा

ओडिशा में काले बाघों के रहस्य से उठा पर्दा (फोटो- सोशल मीडिया)

Highlightsओडिशा में सिमिलीपाल के काले बाघों के संबंध में लंबे समय से बने रहस्य को सुलझाने का दावा।नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरू की वैज्ञानिक उमा रामकृष्णन की टीम ने की खोज।वैज्ञानिक उमा रामकृष्णन और उनके छात्र विनय सागर की टीम के अनुसार एक खास जीन में उत्परिवर्तन के कारण यह रंग उभरता है।

नयी दिल्ली: ओडिशा में सिमिलीपाल के काले बाघों के संबंध में लंबे समय से बने रहस्य को आखिरकार सुलझा लेने का दावा किया गया है और अनुसंधानकर्ताओं ने जीन में एकल उत्परिवर्तन की पहचान की, जिसके कारण उनकी विशिष्ट धारियां चौड़ी हो जाती हैं और कभी-कभी पूरी तरह से काला प्रतीत होती हैं।

सदियों से मिथक माने जाने वाले काले बाघ लंबे समय से आकर्षण का केंद रहे हैं। अब, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस), बेंगलुरू की वैज्ञानिक उमा रामकृष्णन और उनके छात्र विनय सागर के नेतृत्व में एक टीम ने खोज की है कि एक खास जीन में उत्परिवर्तन के कारण यह रंग उभरता है।

प्रोफेसर रामकृष्णन ने कहा कि इस स्वरूप (फेनोटाइप) के संबंध में आनुवंशिक आधार पर गौर करने वाला यह पहला और एकमात्र अध्ययन है। उन्होंने कहा कि फेनोटाइप के बारे में पहले भी चर्चा की गयी है और इसके बारे में लिखा भी गया है। लेकिन पहली इसके आनुवंशिक आधार की वैज्ञानिक जांच की गयी।

अनुसंधानकर्ताओं ने भारत से अन्य बाघों के आनुवंशिक विश्लेषण और कंप्यूटर की मदद से प्राप्त आंकड़ों का एक साथ उपयोग कर यह दिखाया कि सिमिलीपाल के काले बाघ, बाघों की एक बहुत छोटी शुरूआती आबादी से उत्पन्न हुए हैं।

यह अध्ययन ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ नामक पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि सिमिलीपाल अभयारण्य में बाघ पूर्वी भारत में एक अलग आबादी है तथा उनके और अन्य बाघों के बीच जीन प्रवाह काफी सीमित है।

अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि बाघ संरक्षण के लिए इसके महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं क्योंकि इस तरह की अलग-थलग आबादी के कम समय में विलुप्त होने की भी आशंका है।

अध्ययन पत्र के प्रमुख लेखक और अनुसंधान टीम में शामिल पीएचडी छात्र सागर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार किसी अन्य स्थान पर या किसी अन्य जंगल में काले बाघ नहीं पाए गए हैं।

Web Title: Scientists claim to solve mystery of Odisha's black tigers

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