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एससी-एसटी परिवारों को मनरेगा में कम मिल रहा है काम, अन्य की है ज्यादा भागीदीरी

By नितिन अग्रवाल | Updated: May 30, 2020 08:13 IST

28 मई को उपलब्ध आकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में मनरेगा में काम करने वाले 2.07 करोड़ परिवारों में से 1.24 करोड़ गैर एससी-एसटी श्रेणी के हैं. जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों की संख्या क्रमश: 43.51 लाख और 38.92 लाख थी.

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ठळक मुद्देमहात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले अनुसूचित जाति (एससी) और जनजाति (एसटी) के लोगों को कम मौका मिल रहा है. योजना के तहत काम करने वाले में एससी श्रेणी के 20.99 प्रतिशत और एसटी के 18.78 % परिवार थे जबकि सबसे अधिक 60.22% परिवार गैर एससी-एसटी थे.

नई दिल्ली: गांव में हर साल कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी वाली महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले अनुसूचित जाति (एससी) और जनजाति (एसटी) के लोगों को कम मौका मिल रहा है. योजना के तहत काम करने वाले में एससी श्रेणी के 20.99 प्रतिशत और एसटी के 18.78 % परिवार थे जबकि सबसे अधिक 60.22% परिवार गैर एससी-एसटी थे. महाराष्ट्र में केवल 9.87% एससी और 27.47% एसटी परिवारों ने ही योजना में काम किया.28 मई को उपलब्ध आकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में मनरेगा में काम करने वाले 2.07 करोड़ परिवारों में से 1.24 करोड़ गैर एससी-एसटी श्रेणी के हैं. जबकि अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों की संख्या क्रमश: 43.51 लाख और 38.92 लाख थी. ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत चलाई जा रही योजना में जिन राज्यों में गैर एससी-एसटी श्रेणी के परिवारों का प्रतिनिधित्व ज्यादा रहा उनमें बिहार (84.96%), असम (80.53%), उत्तराखंड (80.06%), केरल (75.90%), जम्मू-कश्मीर (73.87%) और कर्नाटक (72.11%) शामिल हैं.संख्या के लिहाज से आंध्रप्रदेश में सबसे अधिक 21.14 लाख गैर एससी-एसटी परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया. इसके बाद यूपी में 19.27 लाख, छत्तीसगढ़ में 12.38 लाख, प.बंगाल में 10 तथा बिहार में 9.95 लाख से अधिक गैर एससी-एसटी परिवारों ने मनरेगा में काम किया. पंजाब (73.15%), हरियाणा (50.01%), पु्डुचेरी (33.84%), उत्तरप्रदेश (33.35%) और तमिलनाडु (30.52%) में एससी परिवारों को अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा प्रतिनिधित्व मिला.

हालांकि संख्या के लिहाज से अनुसूचित जाति के सबसे अधिक 9.79 लाख परिवारों को रोजगार देना वाला राज्य उत्तरप्रदेश था. इसके बाद आंध्रप्रदेश में 8.11 लाख, प. बंगाल में 5.01 लाख, राजस्थान में 4.03 और तमिलनाडु में 3.26 लाख एससी परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया है. एसटी वर्ग के सबसे अधिक परिवारों को मनरेगा के मिजोरम (99.34%), मेघालय (98.84%), नागालैंड (95.31%), मणिपुर (84.02%), अरु णाचल (81.05%) और गुजरात (50.11%) में काम मिला. संख्या के लिहाज से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक क्र मश: 6.52 लाख और 62.99 लाख एसटी परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया.

इसके अतिरिक्त राजस्थान में 5.32 लाख, ओडिशा में 3.28 और आंध्रप्रदेश में 2.84 लाख एसटी परिवारों को काम दिया गया. महाराष्ट्र में गैर एससी-एसटी श्रेणी को ज्यादा काम कोरोना लॉकडाउन के दौरान शुरू हुए वित्त वर्ष में अब तक महाराष्ट्र में मनरेगा के तहत कुल 5.01 लाख परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया. इनमें से 3.14 लाख (62.65%) गैर एससी-एसटी श्रेणी के थे. राज्य में एससी श्रेणी के 49,496 (9.87%) और एसटी के 1.37 लाख (27.47%) परिवार शामिल थे. योजना के तहत काम में जातिगत आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है फिर भी एससी-एसटी परिवारों की कम संख्या से इसमें भी प्रभावशाली लोगों का बोलबाला होने की आशंका नजर आती है. 

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