एससी/एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज हैं बीजेपी के दलित सांसद, मोदी सरकार से रखी ये मांग

By आदित्य द्विवेदी | Published: March 22, 2018 10:45 AM2018-03-22T10:45:42+5:302018-03-22T10:45:42+5:30

सांसदों ने मांग रखी कि इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाएं। सूत्रों के मुताबिक नाराज सांसदों ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करने को भी कहा है।

SC/ ST Act matter: BJP’s Dalit MPs upset with Supreme court order, want government to file review petition | एससी/एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज हैं बीजेपी के दलित सांसद, मोदी सरकार से रखी ये मांग

एससी/एसटी एक्ट: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज हैं बीजेपी के दलित सांसद, मोदी सरकार से रखी ये मांग

नई दिल्ली, 22 मार्चः सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के सख्त प्रावधानों को कम करने का आदेश दिया है। इससे नाराज बीजेपी सांसदों ने सरकार से दखल देने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को बीजेपी के दलित सांसदों ने केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्री थावर चंद गहलोत से मुलाकात की। सांसदों ने मांग रखी कि इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाएं। सूत्रों के मुताबिक नाराज सांसदों ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर करने को भी कहा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि बीजेपी की सरकार में दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा है। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट का कल का आदेश चिंता का विषय है। इस वक्त अनुसूचित जाति, जनजाति और निचले वर्ग में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। हमें लगता है कि देशहित में इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की जानी चाहिए।'

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे देश में इस पर चर्चा शुरू हो गई है। अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व चेयरमैन और कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने कहा, 'लोग तो हत्या और डकैती के फर्जी केस में भी फंसाए जाते हैं। सिर्फ दलित अत्याचार के फर्जी केस से बचाने का प्रयास क्यों किया जाता है। क्यों पहले से पिछड़ों को और दबाया जा रहा है।' 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अदालत का फैसले का अध्ययन किया जाएगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई का निर्णय होगा। यह भी पढ़ेंः SC/ST एक्ट में सरकारी अफसरों की तुरंत गिरफ्तारी जरूरी नहीं, ले सकते हैं अग्रिम जमानत: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण)  अधिनियम 1989  के मामले में सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि अब इस मामले में तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी और गिरफ्तारी के पहले जांच होगी। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार से संबंधित मामले में अग्रिम जमानत दी जा सकती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि अग्रिम जमानत हर मामले में नहीं लेकिन जिस मामले में जरूरी हो वहां अग्रिम जमानत दी जा सकती है। इसके लिए किसी वरिष्ठ अधिकारी से सहमती लेना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है।

Web Title: SC/ ST Act matter: BJP’s Dalit MPs upset with Supreme court order, want government to file review petition

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