SC/ST एक्ट में सरकारी अफसरों की तुरंत गिरफ्तारी जरूरी नहीं, ले सकते हैं अग्रिम जमानत: सुप्रीम कोर्ट
By पल्लवी कुमारी | Published: March 20, 2018 11:19 AM2018-03-20T11:19:16+5:302018-03-20T11:51:32+5:30
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार से संबंधित मामले में अग्रिम जमानत दी जा सकती है।
नई दिल्ली, 20 मार्च; सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) SC/ST (Prevention of Atrocities) अधिनियम 1989 के मामले में सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि अब इस मामले में ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी और गिरफ्तारी के पहले जांच होगी।
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति पर अत्याचार से संबंधित मामले में अग्रिम जमानत दी जा सकती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि अग्रिम जमानत हर मामले में नहीं लेकिन जिस मामले में जरूरी हो वहां अग्रिम जमानत दी जा सकती है। इसके लिए किसी वरिष्ठ अधिकारी से सहमती लेना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है।
While hearing a case on the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act, SC held that there is no absolute bar for granting anticipatory bail in a matter related to atrocities on SCs/STs, also added that a public servant can be arrested after grant of approval by the superior officer.
— ANI (@ANI) March 20, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि केस दर्ज करने से पहले किसी वरिष्ठ अधिकारी जैसे डीएसपी स्तर का पुलिस अधिकारी पहले प्रारंभिक जांच करेगा। किसी सरकारी अफसर की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति जरूरी होगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला महाराष्ट्र की एक याचिका पर सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एमिक्स क्यूरी अमरेंद्र शरण की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।