SC/ST Act पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका, सर्वोच्च न्यायालय ने कही ये बात
By कोमल बड़ोदेकर | Updated: May 3, 2018 17:13 IST2018-05-03T17:13:50+5:302018-05-03T17:13:50+5:30
एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर अगली सुनवाई 16 मई को होगी। केंद्र सरकार के अलावा चार अन्य राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।

SC/ST Act पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फिर झटका, सर्वोच्च न्यायालय ने कही ये बात
नई दिल्ली, 3 मई। एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा दाखिल की गई सुप्रीम कोर्ट की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर जांच में जरूरत हो तो गिरफ्तारी की जाए। लेकिन किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए।
एससी/एसटी कानून के तहत तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगाने के आदेश पर पुनर्विचार की मांग करते हुए केंद्र ने 2 अप्रैल को कोर्ट का रुख किया था। इस मुद्दे पर दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका पर अगली सुनवाई 16 मई को होगी। केंद्र सरकार के अलावा चार अन्य राज्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।
इससे पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मामले से जुड़े लिखित दस्तावेज कोर्ट में दाखिल किए थे। इन दस्तावेजों के आधार पर जज एके गोयल और दीपक गुप्ता की संवैधानिक पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी।
अटॉर्नी जनरल की दलील
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी के पहले विभाग के अधिकारी या एसपी की इजाजत का प्रावधान डालना सीआरपीसी में बदलाव करने जैसा है। हजारों साल से वंचित तबके को अब जाकर सम्मान मिलना शुरू हुआ है। इसलिए कोर्ट का ये फैसला इस तबके के लिए बुरी भावना रखने वालों का मनोबल बढ़ाने वाला है।
संवैधानिक पीठ का जवाब
अटॉर्नी जनरल की दलील पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि, हमारा फैसला किसी से ये नहीं कहता कि वह अपराध करे। दोषी को पूरी सजा मिले, लेकिन बेवजह कोई जेल क्यों जाए? हमने कई मौकों पर कानून की व्याख्या की है। अनुच्छेद 21 (सम्मान से जीवन का मौलिक अधिकार) की रक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि बीती 19 मार्च को एसएसटी एक्ट के एक केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर इस फैसले को चुनौती दी है। एससी/एसटी एक्ट, 1989 कानून का लक्ष्य दलित और आदिवासी तबके की हिफाजत करना है।