सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिये है कि वो ओला और उबर जैसी मोबाइल-ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए कानून बनाने पर विचार करे। ताकि महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे। केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी, अदालत ने कहा, ‘‘आपको यह करना होगा।’’
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को ये निर्देश देश में ओला और उबर जैसी प्राइवेट टैक्सियों में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध को देखते हुये दिया है। कई महिलाएं प्राइवेट टैक्सी के ड्राइवर के खिलाफ दुर्व्यवहार के मामले का केस दर्ज करवा चुकी हैं।
फरवरी 2019 में भी ग्रेनो वेस्ट स्थिति एक सोसायटी के पास कैब में इंजीनियर युवती से रेप के मामले में पुलिस ने लापरवाही के आरोप में उबर कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया है। कंपनी पर आरोप है कि जिस चालक का नाम और नंबर युवती के मोबाइल पर भेजा गया उसकी जगह दूसरा चालक पहुंचा था।
पीड़िता ग्रेनो वेस्ट की एक सोसायटी में रहती है। उसने 5 फरवरी की रात करीब 10 बजे कंपनी जाने के लिए उबर की कैब बुक की थी। मोबाइल पर चालक का नाम जोगेंद्र बताया गया। जांच में सामने आया कि युवती के पास कैब लेकर चालक नरवीर उर्फ आरव पहुंचा था। मेसेज में नंबर भी आरव का था।
आरोप है कि कैब चालक आरव ने युवती की साथ रेप किया और युवती को सोसायटी के बाहर छोड़कर फरार हो गया। पुलिस जांच में पता चला कि कंपनी में जिस नाम से बुकिंग थी, उसकी जगह दूसरा ड्राइवर कैब लेकर गया। कंपनी की लापरवाही सामने आने पर पुलिस ने उबर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। (पीटीआई इनपुटे के साथ)