सासाराम संसदीय क्षेत्र: मुगल शासक शेरशाह सूरी के जन्मस्थली में 'बाबूजी' का रहा था बोलबाला, कमल ने हवा में उड़ा दिया हाथ

By एस पी सिन्हा | Published: March 6, 2024 05:10 PM2024-03-06T17:10:40+5:302024-03-06T17:12:11+5:30

सासाराम सुरक्षित संसदीय क्षेत्र है। इस सीट के अंदर 6 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें 3 सीटें कैमूर जिले की और 3 सीटें रोहतास जिले की हैं। 6 विधानसभा सीटों में मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, चेनारी, सासाराम और करगहर शामिल हैं। इनमें चेनारी और मोहनिया एससी सुरक्षित सीट हैं। सासाराम संसदीय सीट कांग्रेस के मजबूत किलों में से एक थी।

Sasaram parliamentary constituency Jagjivan Ram had dominance in the birthplace of Mughal ruler Sher Shah Suri | सासाराम संसदीय क्षेत्र: मुगल शासक शेरशाह सूरी के जन्मस्थली में 'बाबूजी' का रहा था बोलबाला, कमल ने हवा में उड़ा दिया हाथ

सासाराम : मुगल शासक शेरशाह सूरी का जन्म यहीं हुआ था और उनका मकबरा भी यहां बना हुआ है

Highlightsसासाराम संसदीय क्षेत्र में भी सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैंसासाराम की ऐतिहासिक पहचान हैसासाराम को पहले शाहाबाद नाम से जाना जाता था

पटना: लोकसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू होते ही सासाराम संसदीय क्षेत्र में भी सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। सासाराम की ऐतिहासिक पहचान है। यह रोहतास जिले का जिला मुख्यालय है। सासाराम को पहले शाहाबाद नाम से जाना जाता था। मुगल शासक शेरशाह सूरी का जन्म यहीं हुआ था और उनका मकबरा भी यहां बना हुआ है। भारत-अफगान शैली में लाल बलुआ पत्थर से बना मकबरा झील के बीच में है। वहीं, हिंदुओं की आस्था का केंद्र देवी चंडी का एक भव्य मंदिर भी यहीं हैं। 

शेर शाह के द्वारा बनवाया गया जीटी रोड (ग्रैंड ट्रंक रोड) यहीं से होकर गुजरता है। मुगल काल में बना यह रोड आज भी दिल्ली को पश्चिम बंगाल से जोड़ने का काम करता है। यहीं पर एक पहाड़ी पर गुफा में अशोक का लघु शिलालेख संख्या एक को उकेरा गया है। इसी क्षेत्र में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र का निवास स्थान है। सासाराम को 'गेट वे ऑफ बिहार' भी कहा जाता है। यूपी का वाराणसी शहर इससे जुड़ा हुआ है। 

सासाराम सुरक्षित संसदीय क्षेत्र है। इस सीट के अंदर 6 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें 3 सीटें कैमूर जिले की और 3 सीटें रोहतास जिले की हैं। 6 विधानसभा सीटों में मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, चेनारी, सासाराम और करगहर शामिल हैं। इनमें चेनारी और मोहनिया एससी सुरक्षित सीट हैं। सासाराम संसदीय सीट कांग्रेस के मजबूत किलों में से एक थी। इसकी पहचान पूर्व उप-प्रधानमंत्री स्व जगजीवन राम के नाम से होती है, जिन्हें लोग आज भी बाबूजी के नाम से याद करते हैं। वे 1952 से लेकर 1984 तक आठ बार यहां से सांसद चुने गए। उन्होंने छह बार कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी और एक बार इंडियन नेशनल कांग्रेस जगजीवन पार्टी से चुनाव जीता। उनकी पुत्री मीरा कुमार दो बार कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीत चुकी हैं। 

जब वर्ष 1977 में आपातकाल के बाद जगजीवन बाबू ने इंदिरा गांधी से नाता तोड़ा था, तब भी सासाराम संसदीय क्षेत्र के लोग ‘बाबूजी’ के पक्ष में मजबूती से खड़े थे। उस चुनाव में इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी अपने-अपने क्षेत्र से हार गए थे, लेकिन, जगजीवन बाबू ने भारतीय लोक दल के टिकट पर 1977 का लोकसभा चुनाव सासाराम संसदीय क्षेत्र से लड़ा एवं मजबूती के साथ जीत दर्ज की। बाबूजी पीएम पद के प्रबल दावेदार थे, किंतु उनपर मोरारजी देसाई भारी पड़ गए थे। अब जगजीवन बाबू की विरासत उनकी पुत्री मीरा कुमार के हाथ में है। 

जगजीवन बाबू के निधन के बाद जब 1989 में कांग्रेस ने मीरा को टिकट थमाया था तो दिल्ली में बैठे लोगों ने मान लिया था कि सासाराम में जगजीवन युग की वापसी हो जाएगी, लेकिन इस मान्यता को छेदी पासवान ने ध्वस्त कर दिया। जनता दल के प्रत्याशी के रूप में उन्होंने एक लाख से ज्यादा वोटों से मीरा को हराया। 1996 से यहां भाजपा के मुनीलाल ने लगातार तीन जीत दर्ज की। 2004 में मीरा ने पहली इंट्री की। उसके बाद सासाराम मीरा और मुनिलाल का बैटल फील्ड बन गया। लगातार दो बार मुनीलाल के हारने के बाद भाजपा ने 2014 में छेदी पर दांव लगाया और छेदी पासवान यहां से सांसद चुने गए, फिर से वे 2019 में सांसद बने। 

इस सीट पर दो बार जनता दल का कब्जा रहा। भाजपा ने पांच बार यह सीट जीती। तबसे मीरा बनाम छेदी का संघर्ष शुरू हो गया। मीरा कुमार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष हैं और राष्ट्रपति चुनाव के लिए कांग्रेस की उम्मीदवार भी थीं। यहां की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में दुर्गावती जलाशय परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट मंत्री जगजीवन राम ने 1976 में किया था। वह परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई थी। इसे पूरा कराकर 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उद्घाटन किया, हालांकि अभी भी नहरों का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। 

शेरशाह इंजीनियरिंग कॉलेज का शिलान्यास और केंद्रीय विद्यालय भवन का निर्माण हुआ। आरा रेल का विद्युतीकरण, ग्रामीण सड़क, पेयजल आदि से जुड़े कार्य भी हुए हैं। इस क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं भी हैं, जिनमें किसानों को उपज का वाजिब दाम दिलाना, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पर्यटन स्थलों का विकास का आदि प्रमुख हैं। मुंडेश्वरी-आरा रेल लाइन का निर्माण भी बड़ा मुद्दा है।

Web Title: Sasaram parliamentary constituency Jagjivan Ram had dominance in the birthplace of Mughal ruler Sher Shah Suri

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