उच्चतम न्यायालय ने शारदा चिटफंड घोटाले में आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार की अंतरिम जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की अपील पर शुक्रवार को उन्हें नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने नोटिस जारी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आपको हमें संतुष्ट करना होगा कि शारदा चिट फंड मामले में सीबीआई को राजीव कुमार की हिरासत देना क्यों जरूरी है।
मेहता ने पीठ से कहा कि राजीव कुमार कुछ समय से फरार थे और उन्होंने जांच के दौरान एकत्रित सामग्री को दबा दिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल हैं।
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने करोड़ों रुपए के शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल काडर के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को अग्रिम जमानत देने के फैसले के खिलाफ एक अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
शारदा समूह पर जनता को करीब 2,500 करोड़ रूपए का चूना लगाने का आरोप है। आरोप है कि शारदा समूह ने जनता को उसके यहां निवेश करने पर बेहतर दर पर धन वापसी का आश्वासन दिया था।
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिये विशेष जांच दल का गठित किया था, राजीव कुमार इसका हिस्सा थे। लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने 2014 में चिटफंड के अन्य मामलों के साथ इसकी जांच भी सीबीआई को सौंप दी थी।
राजीव कुमार के विधाननगर पुलिस आयुक्त के कार्यकाल के दौरान 2013 में शारदा चिट फंड घोटाला सामने आया था। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पांच फरवरी को राजीव कुमार को सीबीआई के समक्ष पेश होने और जांच में पूरी तरह सहयोग करने का निर्देश दिया था। लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि राजीव कुमार से पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।
इसके बाद सीबीआई ने शिलांग में राजीव कुमार से पूछताछ की थी। इसके बाद सितंबर महीने में जांच एजेन्सी ने एक बार फिर राजीव कुमार को समन भेजा था। लेकिन राजीव कुमार उसके समक्ष पेश नहीं हुये। बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी।