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समीर वानखेड़े के पिता ने बंबई उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी

By भाषा | Updated: November 24, 2021 22:31 IST

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मुंबई, 24 नवंबर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय का रुख करके इसकी एकल पीठ के एक आदेश को चुनौती दी। एकल पीठ ने उक्त आदेश में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को समीर वानखेड़े या उनके परिवार के खिलाफ टिप्पणी करने या सोशल मीडिया पोस्ट करने से रोकने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति एस. जे. कथावाला के नेतृत्व वाली खंडपीठ के समक्ष उल्लेखित अपनी अपील में ज्ञानदेव वानखेड़े ने दलील दी कि चूंकि एकल-न्यायाधीश पीठ ने माना था कि समीर वानखेड़े के खिलाफ मलिक के बयान द्वेष से प्रेरित थे, इसलिए मंत्री को उनके और उनके परिवार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने से रोका जाना चाहिए था।

उन्होंने खंडपीठ से अनुरोध किया कि उनकी अपील के अंतिम निपटारे तक, उच्च न्यायालय मलिक और उनके एजेंटों को वानखेड़े परिवार के खिलाफ कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक अस्थायी निषेधाज्ञा पारित करे।

सोमवार को न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मलिक के खिलाफ वानखेड़े की मानहानि के वाद में उन्हें (वानखेड़े को) कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।

पिछले महीने की शुरुआत में मुंबई एनसीबी टीम द्वारा एक क्रूज जहाज से कथित तौर पर मादक पदार्थ जब्त किये जाने के बाद से मलिक समीर वानखेड़े के खिलाफ आरोप लगा रहे हैं।

22 नवंबर के आदेश को चुनौती देते हुए, ज्ञानदेव वानखेड़े ने कहा कि नवाब मलिक के खिलाफ दायर मानहानि वाद में उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार करने में एकल-न्यायाधीश पीठ गलत थी।

खंडपीठ के समक्ष उल्लिखित अपनी अपील में, ज्ञानदेव वानखेड़े ने कहा कि अपील केवल एक सीमित सीमा तक दायर की जा रही थी क्योंकि वह एकल-न्यायाधीश द्वारा दर्ज निष्कर्षों से व्यथित और असंतुष्ट थे।

अपील में कहा गया है, वानखेड़े के खिलाफ मलिक द्वारा दिये गए बयान और सोशल मीडिया पोस्ट तथा समाचार चैनलों आदि को दिए गए साक्षात्कार ‘‘बेहद अपमानजनक’’ थे क्योंकि इसमें ‘‘गलत तथ्य, आक्षेप और निष्कर्ष’’ शामिल थे।

ज्ञानदेव वानखेड़े ने अपील में कहा कि वे ‘‘मलिक की ओर से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से उनके, उनके बेटे समीर और उनके परिवार को बदनाम करने के लिए प्रयास किया गया।’’ उन्होंने कहा कि मलिक के बयानों से न केवल उनकी और उनके परिवार के सदस्यों की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हुई, बल्कि उनकी गरिमा के साथ जीने के उनके अधिकार का भी उल्लंघन हुआ।

उन्होंने कहा कि एकल-न्यायाधीश की पीठ इस बात को समझने में विफल रही कि समीर वानखेड़े के अलावा, परिवार में कोई भी सरकारी अधिकारी नहीं है और इसलिए, उनका जीवन सार्वजनिक जांच पड़ताल के लिए नहीं है।

ज्ञानदेव वानखेड़े की अपील पर खंडपीठ द्वारा सुनवायी बृहस्पतिवार को किये जाने की उम्मीद है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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