कांग्रेस के इंडियन ओवरसीज प्रमुख सैम पित्रोदा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नागरिकता विवाद पर कहा कि पूरा देश जानता है कि राहुल गांधी भारतीय हैं। सैम पित्रोदा ने कहा, राहुल गांधी 15 सालों से संसद के सदस्य हैं, आप उनके साथ संसद में बैठते हैं, आप संसद में बैठक उनके साथ काम करते हैं, आज ही आप क्यों जगे है, आप सोचते हैं कि देश के लोग बेवकूफ हैं। देश के पढ़े-लिखे लोगों को बेवकूफ मत समझिए।
सैम पित्रोदा ने कहा, हमारे आकलन के आधार पर हम मानते हैं कि हम इस लोकसभा चुनाव में जीत रहे हैं, हम जीत रहे हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर काम किया है। वास्तविकता मीडिया में दिखाए जा रहे है खबरों से काफी अलग है। जमीनी हकीकत ये है कि मोदी सरकार ने कोई काम नहीं किया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के कांग्रेस पर निशाना साधने पर सैम पित्रोदा ने कहा, ''महागठबंधन एक सही समय पर एक साथ आएगी। न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा, गठबंधन के बारे में किसी को भी चिंता नहीं करनी चाहिए। हम सब एक सही वक्त पर एक साथ आ जाएंगे। आने वाले समय में वो सब एक साथ होंगे, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं। देश की हर पार्टी बीजेपी को छोड़कर लोकतंत्र चाहती है। हमारा काम लोगों के बीच फूट डालकर राजनीति करना नहीं है। मुझे गठबंधन के लीडरशिप पर पूरा भरोसा है।''
राहुल गांधी पर क्यों उठा नागरिकता विवाद?
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मांग की थी कि राहुल गांधी को स्पष्ट करना चाहिए कि वह ब्रिटेन के नागरिक हैं या भारतीय नागरिक। कांग्रेस अध्यक्ष की नागरिकता को लेकर केंद्र सरकार द्वारा नोटिस जारी करने के बाद उन्होंने स्पष्टीकरण देने की मांग की।
गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी कर राहुल गांधी को कहा कि एक पखवाड़े के अंदर स्पष्ट करें कि बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उनकी नागरिकता को लेकर जो शिकायत की है उसमें उनका ‘‘तथ्यात्मक रूख’’ क्या है। सांसद के पत्र का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि यह संज्ञान में आया है कि बैकॉप्स लिमिटेड नाम की कंपनी 2003 में ब्रिटेन में पंजीकृत थी जिसके निदेशकों में गांधी भी थे।
ब्रिटेन में पंजीकृत कंपनी से जुड़े दस्तावेजों में गांधी की नागरिकता ‘‘ब्रिटिश’’ घोषित की गई है। गोयल ने आरोप लगाया कि कंपनी में वह सचिव के साथ ही निदेशक भी थे। राफेल मुद्दे पर भी उन्होंने कांग्रेस प्रमुख पर प्रहार करते हुए दावा किया कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन किया था और प्रधानमंत्री पर निराधार आरोप लगाए थे।