J&K में सज्जाद लोन के कंधे पर बंदूक रख इतिहास बदलना चाहती है BJP, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट

By सुरेश डुग्गर | Published: November 14, 2018 08:37 PM2018-11-14T20:37:57+5:302018-11-14T20:39:00+5:30

सज्जाद लोन पूर्व अलगाववादी हैं और अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन के बेटे हैं। लोन की 2002 में हत्या कर दी गयी थी। सज्जाद लोन की पार्टी पीपल्स कांफ्रेंस ने पिछले विधानसभा चुनावों में भाग लिया था और उसके दो विधायक जीते थे।

sajjad lone may cm candidate from bjp in jammu and kashmir | J&K में सज्जाद लोन के कंधे पर बंदूक रख इतिहास बदलना चाहती है BJP, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट

J&K में सज्जाद लोन के कंधे पर बंदूक रख इतिहास बदलना चाहती है BJP, पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट

भारतीय जनता पार्टी जम्मू कश्मीर में इतिहास को बदलने कोशिशों में जुट गई है। यह कोशिश नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं के अतिरिक्त किसी और नेता को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन करवाने की है। इसके लिए उसने अलगाववादी नेता से राजनीति में कूदे सज्जाद लोन के कांधों पर बंदूक रख कर चलाने की तैयारी की है। 

पहली कोशिश में भाजपा जोड़तोड़ की राजनीति कर सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बना सरकार बनाने की चाहत में है और अगर इसमें नाकामी मिलती है तो विधानसभा भंग करवा कर अगले चुनावों में लोन को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के बतौर पेश किया जाएगा।

सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है कि जम्मू-कश्मीर के लिए भाजपा ने नयी रणनीति बनाई है और इसके तहत राज्य सरकार के पूर्व मंत्री सज्जाद लोन को राज्य विधानसभा के आगामी चुनावों में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश किया जायेगा। हालांकि इसके पहले वह उनके सहारे नई सरकार बनवाले की कोशिशों में जुटी है जिसके लिए सज्जाद लोन को जोड़तोड़ करने की छूट दी गई हे जो पीडीपी तथा नेकां विधायकों के संपर्क में हैं।

सज्जाद लोन पूर्व अलगाववादी हैं और अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन के बेटे हैं। लोन की 2002 में हत्या कर दी गयी थी। सज्जाद लोन की पार्टी पीपल्स कांफ्रेंस ने पिछले विधानसभा चुनावों में भाग लिया था और उसके दो विधायक जीते थे।

कहा यह जा रहा है कि अगर सज्जाद लोन सरकाार बनाने में विफल रहे तो भी भाजपा उनका साथ नहीं छोड़ेगी और माना जा रहा है कि चुनाव आयोग अगले माह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की घोषणा कर सकता है और राज्य में मार्च या अप्रैल में चुनाव कराये जा सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो यह लगभग लोकसभा चुनावों के साथ ही होगा। लोकसभा चुनाव भी अगले वर्ष अप्रैल-मई के बीच ही कराये जाने हैं।

सज्जाद लोन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छे संबंध हैं और इसी की बदौलत वह पहले मुफ्ती मोहम्मद सईद और उसके बाद महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री पद हासिल करने में सफल रहे थे। विधानसभा चुनावों में जब किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था और सरकार बनाने के लिए पीडीपी तथा भाजपा साथ आये थे तो पीपुल्स कांफ्रेंस भी गठबंधन के साथ जुड़ी थी। 

उस समय मुफ्ती ने सज्जाद लोन को मंत्री पद देने से इसलिए इंकार कर दिया था क्योंकि गठबंधन सरकार में मंत्री पद पीडीपी और भाजपा के बीच ही बंटने थे। लेकिन, भाजपा ने अपने कोटे का एक मंत्री पद लोन के लिए छोड़ दिया था। पार्टी का प्रयास था कि अलगाववादी मुख्यधारा से जुड़ें ताकि कश्मीर में शांति कायम हो सके।

इस समय जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू है और विधानसभा का अंक गणित देखें तो कोई भी दल या गठबंधन सरकार बनाने को राजी नहीं है। हालांकि भाजपा ने जब महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लिया तो यह कहा गया था कि पीडीपी के बागी विधायकों का समर्थन लेकर वह सरकार का गठन कर सकती है लेकिन पार्टी ने ऐसी किसी संभावना से इंकार कर दिया था। 

राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी चाहते हैं कि राज्य में जल्द चुनाव कराये जाएं ताकि जनता को एक लोकप्रिय सरकार मिल सके। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव कराये गये जिनमें नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी को छोड़ बाकी दलों ने भाग लिया और जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी क्षेत्रों में भाजपा का अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा। 

अब भाजपा राज्य में अपनी सरकार चाहती है और सज्जाद लोन को इसका नेतृत्व देना चाहती है। राज्य में 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन खत्म हो रहा है और उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाना होगा क्योंकि जम्मू-कश्मीर का संविधान राज्यपाल शासन के नवीनीकरण की इजाजत नहीं देता।

सज्जाद लोन यदि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बनते हैं तो नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है क्योंकि इन दोनों को राज्य की जनता मुख्यमंत्री के रूप में देख चुकी है जबकि लोन भी युवा चेहरा हैं और मंत्री पद पर वह अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं। 

सज्जाद लोन की साफ छवि और उनके पिता के प्रभाव का उन्हें चुनावों में फायदा हो सकता है। भाजपा इस बात को जानती है कि भले जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में उसके पास कई प्रभावी नेता हों लेकिन घाटी में एक उसके पास कोई जाना पहचाना और बड़ा चेहरा नहीं है इसलिए वह लोन पर दांव लगाना चाहती है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में भाजपा महासचिव राम माधव की सज्जाद लोन से कई दौर की बात भी हो चुकी है। राम माधव का इन दिनों कश्मीर का दौरा बढ़ गया है। वह हाल ही में एक दावत के दौरान सज्जाद लोन से तब मिले जब श्रीनगर के मेयर पद पर पीपुल्स कांफ्रेंस का उम्मीदवार चुना गया।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राज्यपाल शासन लगा हुआ है। इसकी अवधि अगले महीने ख़त्म हो रही है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती सरकार से इसी साल समर्थन वापस ले लिए जाने के बाद से राज्य विधानसभा भी निलंबित है। लेकिन अब तक कोई भी पार्टी राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिखती। 

राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 44 सदस्य चाहिए. लेकिन भाजपा के पास 25 ही सदस्य हैं। पीसी के दो और कुछ अन्य (इनमें निर्दलीय और पीडीपी के बाग़ी शामिल बताए जाते हैं) को जोड़ लें तब भी बहुमत जुटता नहीं दिखता। इसीलिए राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने की संभावना ज्यादा मज़बूत हो रही है।

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