"एलएसी पर कुछ काम अधूरा है; सेना, कूटनीति अपना काम कर रही है", चीन के विषय पर एक कार्यक्रम में बोले जयशंकर

By भाषा | Updated: March 30, 2023 08:20 IST2023-03-30T08:07:58+5:302023-03-30T08:20:21+5:30

विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत और चीन के हालात को रूस यूक्रेन के युद्ध के मद्देनजर समझाया और कहा कि ‘‘आज यूक्रेन में जो हो रहा है, अगर आप दोनों पक्षों को सुनें तो, एक पक्ष कहेगा कि वह नाटो के विस्तार और यूक्रेन की सरकार की प्रकृति से खतरा महसूस कर रहा है। पश्चिम कहेगा कि रूस की विस्तारवादी मंशा है। भारत और चीन के बीच क्या है? यहां कोई नाटो नहीं है, सत्ता की कोई प्रकृति नहीं है। मुझे कहीं से तुलना नजर नहीं आती है।’’

s Jaishankar said at an event on China that Some work on LAC is incomplete Army, diplomacy doing their bit | "एलएसी पर कुछ काम अधूरा है; सेना, कूटनीति अपना काम कर रही है", चीन के विषय पर एक कार्यक्रम में बोले जयशंकर

फोटो सोर्स: ANI फाइल फोटो

Highlightsभारत चीन के रिश्ते को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर का एक बयान सामने आया है।उन्होंने कहा है कि भारत और चीन दोनों तरफ के पक्ष अब तक‘‘सबकुछ सुलझाने में सक्षम’’ नहीं हुए हैं। मौजूदा हालात पर बोलते हुए उन्होंने कहा है कि "एलएसी पर कुछ काम अधूरा है; सेना, कूटनीति अपना काम कर रही है।"

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कुछ ‘अधूरे काम’ हैं और दोनों ओर की सेनाएं तथा राजनयिक मुद्दे का हल निकालने के लिए काम कर रहे हैं। नटेवर्क 18 के ‘राइजिंग इंडिया समिट’ में जयशंकर ने चीन के साथ एलएसी पर हालात की तुलना यूक्रेन संघर्ष से करने के राहुल गांधी के प्रयास की निंदा की है। 

भारत और चीन के मुद्दे पर क्या बोले विदेश मंत्री

इस दौरान उन्होंने कहा है कि ‘‘आज यूक्रेन में जो हो रहा है, अगर आप दोनों पक्षों को सुनें तो, एक पक्ष कहेगा कि वह नाटो के विस्तार और यूक्रेन की सरकार की प्रकृति से खतरा महसूस कर रहा है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘पश्चिम कहेगा कि रूस की विस्तारवादी मंशा है। भारत और चीन के बीच क्या है? यहां कोई नाटो नहीं है, सत्ता की कोई प्रकृति नहीं है। मुझे कहीं से तुलना नजर नहीं आती है।’’ 

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ‘‘बेबुनियाद अफवाहें’’ का भी जिक्र किया 

जयशंकर ने यह भी कहा कि ऐसी ‘‘बेबुनियाद अफवाहें’’ फैलायी जा रही हैं कि भारत के गश्ती इलाकों में ‘बफर जोन’ छोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गलवान संघर्ष 2020 के बाद से सेना और कूटनीति के संयोग से कुछ प्रगति हुई है, लेकिन उन्होंने माना कि दोनों पक्ष ‘‘सबकुछ सुलझाने में सक्षम’’ नहीं हुए हैं। 

विदेश मंत्री ने एलएसी पर मौजूदा हालात को लेकर यह कहा 

एलएसी पर वर्तमान स्थिति के संबंध में जयशंकर ने कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ है वह परस्पर सहमति और बातचीत से हुआ है। लेकिन अभी भी काम अधूरे हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ संबंध को समझने के लिए व्यक्ति को दोनों देशों के बीच की समस्या की प्रकृति को भी समझना होगा। 
 

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