एस गुरुमूर्ति ने सरकारी बैंककर्मियों को 'काझीसदाई' यानी 'मैल या गंदा' कहा, बैंक कर्मचारी संघ ने सरकार से की मांग, 'तुरंत हटाएं आरबीआई बोर्ड से'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 14, 2022 07:35 PM2022-05-14T19:35:56+5:302022-05-14T19:42:18+5:30
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड मेंबर और संघ विचारक एस गुरुमूर्ति ने चेन्नई में तमिल पत्रिका 'तुगलक' की 52वीं वर्षगांठ समारोह में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उनके लिए तमिल शब्द 'काझीसदाई' का प्रयोग किया, जिसका अर्थ 'मैला या गंदा' होता है।
चेन्नई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड मेंबर एस गुरुमूर्ति द्वारा बैंक कर्मचारियों पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में बैंक यूनियनों ने विरोध करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक संघ विचारक एस गुरुमूर्ति ने चेन्नई में तमिल पत्रिका 'तुगलक' की 52वीं वर्षगांठ समारोह में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उनके लिए तमिल शब्द 'काझीसदाई' का प्रयोग किया, जिसका अर्थ मैला या गंदा होता है। गुरुमूर्ति ने जिस 'तुगलक' पत्रिका के समारोह में यह बात कही, वो उसके संपादक भी हैं।
समाचार वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक गुरुमूर्ति की इस टिप्पणी के खिलाफ विरोध करते हुए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने आरबीआई बोर्ड से उनका इस्तीफा मांगा है। इस पूरे मामले में सबसे हैरानी वाली बात यह है कि गुरुमूर्ति ने बैंककर्मियों के खिलाफ यह टिप्पणी उस वक्त की, जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी वहां मौजूद थीं।
पत्रिका 'तुगलक' की 52वीं वर्षगांठ समारोह में उपस्थित एक श्रोता के सवाल का जवाब देते हुए गुरुमूर्ति ने कहा कि सरकारी बैंक के अधिकारी कम वेतन और स्वतंत्रता की कमी के कारण तेजी से प्राइवेट बैंकों की ओर मुड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, “सरकारी बैंकों के अच्छे कर्मचारी अपनी नौकरी इस कारण छोड़ रहे हैं क्योंकि उनका पैकेज बहुत कम है और वे स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर पा रहे हैं। अब हमारे पास केवल 'काझीसदाई' (मैले या गंदे) बचे हैं और यह उनके साथ मिलकर देश को वित्तीय क्षेत्र में विश्व स्तर पर कंपटिशन करना है।"
गुरुमूर्ति के इस बयान का सरकारी बैंक यूनियनों ने कड़ा विरोध किया है। इस मामले में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ की तमिलनाडु यूनिट ने बयान जारी करते हुए कहा, "हमें उम्मीद नहीं थी कि उनके जैसा शख्स इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर सकता है। वो आरबीआई में सर्वोच्च पद पर हैं और उन्होंने बैंककर्मियों के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के सामने किया, जिन्होंने कोरोना महामारी के समय बैंक कर्मचारियों के निस्वार्थ सेवा के लिए उन्हें सलामं किया है।"
इस मामले में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के सचिव वेंकटचलम ने कहा, "हम गुरुमूर्ति की विवादित टिप्पणी के लिए कड़ी निंदा करते हैं और उनसे मांग करते हैं कि वो अविलंब बैंक कर्मचारियों से मांफी मांगे। इसके अलावा हम सरकार से मांग करते हैं कि उनके खिलाफ एक्शन ले और उन्हें आरबीआई के बोर्ड से बाहर करे।"