‘कॉम्पैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट’, ‘ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम’, ‘लांचर’ और ‘बराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम’ पर खर्च होंगे 67,000 करोड़ रुपये
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 5, 2025 21:55 IST2025-08-05T21:55:13+5:302025-08-05T21:55:53+5:30
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नौसेना के लिए ‘कॉम्पैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट’, ‘ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम’ और ‘लांचर’ की खरीद और ‘बराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम’ के उन्नयन को मंजूरी दी गई।

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नई दिल्लीः रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाले ड्रोन और मिसाइल प्रणालियों की खरीद समेत प्रमुख सैन्य परियोजनाओं को मंजूरी दे दी जिनपर लगभग 67,000 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन परियोजनाओं को मंजूरी दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नौसेना के लिए ‘कॉम्पैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट’, ‘ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम’ और ‘लांचर’ की खरीद और ‘बराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम’ के उन्नयन को मंजूरी दी गई।
उसने कहा कि ‘कॉम्पैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट’ की खरीद से भारतीय नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध अभियानों में खतरों का पता लगाने, उनका वर्गीकरण करने और उन्हें बेअसर करने की क्षमता मिलेगी। उसने कहा कि भारतीय वायु सेना के लिए, पर्वतीय रडार की खरीद और सक्षम/स्पाइडर हथियार प्रणाली के उन्नयन को मंजूरी दी गई।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि पर्वतीय रडार की खरीद से पर्वतीय क्षेत्र में सीमाओं पर नजर रखने के साथ-साथ हवाई निगरानी क्षमता में वृद्धि होगी। उसने कहा कि एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली के साथ एकीकरण के लिए सक्षम/स्पाइडर प्रणाली के उन्नयन से वायु रक्षा क्षमता में वृद्धि होगी।
मंत्रालय ने कहा कि तीनों सेनाओं के लिए मध्यम ऊंचाई पर लंबी दूरी के (मेल) ‘रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए)’ की खरीद के लिए ‘आवश्यकता की स्वीकृति’ या प्रारंभिक स्वीकृति भी प्रदान की गई। प्रस्तावित ‘मेल आरपीए’ कई सामग्री और हथियार ले जा सकते हैं तथा लंबी दूरी के मिशनों के लिए लंबी दूरी पर काम कर सकते हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इससे सशस्त्र बलों की चौबीसों घंटे निगरानी और युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके अलावा, डीएसी ने सी-17 और सी-130जे बेड़े के रखरखाव के लिए प्रारंभिक स्वीकृति और एस-400 लंबी दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध को भी मंजूरी दी है।