सड़क सुरक्षा: पांच शहरों में ‘सुरक्षित स्कूल क्षेत्र’ की प्रायोगिक आधार पर शुरुआत

By भाषा | Published: November 21, 2021 03:06 PM2021-11-21T15:06:50+5:302021-11-21T15:06:50+5:30

Road Safety: 'Safe School Zone' launched on pilot basis in five cities | सड़क सुरक्षा: पांच शहरों में ‘सुरक्षित स्कूल क्षेत्र’ की प्रायोगिक आधार पर शुरुआत

सड़क सुरक्षा: पांच शहरों में ‘सुरक्षित स्कूल क्षेत्र’ की प्रायोगिक आधार पर शुरुआत

(गुंजन शर्मा)

नयी दिल्ली, 21 नवंबर बेंगलुरु के एक निजी स्कूल के बाहर लगे एक सूचना-पट्ट पर लिखा है ‘‘कृपया धीरे चलें, आगे स्कूल है।’’ इस स्कूल ने बच्चों के लिए सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने और पैदल यात्रियों की पहुंच में सुधार के लिए परिसर के बाहर के क्षेत्र को ‘सुरक्षित स्कूल क्षेत्र’ में बदल दिया है।

बेंगलुरू में सेंट जोसेफ हाईस्कूल देश के पांच शहरों के उन चुनिंदा स्कूलों में से एक है जहां प्रायोगिक आधार पर ऐसे क्षेत्र स्थापित किए गए हैं।

सुरक्षित स्कूल क्षेत्र में किसी स्कूल के पास स्थित निर्दिष्ट सड़क मार्ग शामिल होते हैं, जहां स्कूल से संबंधित पैदल यात्री और वाहनों के यातायात में वृद्धि के कारण अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। यह क्षेत्र स्कूल की संपत्ति की सीमा से 300 फुट या स्कूल क्रॉसिंग से कम से कम 300 फुट तक फैला होता है।

मानक 'स्कूल गति सीमा' संकेतक किसी स्कूल क्षेत्र की शुरुआत और ‘स्कूल क्षेत्र के अंत’ की जानकारी देते हैं। हालांकि यह पहल अमेरिका, फिलीपीन, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में एक लोकप्रिय सड़क सुरक्षा अवधारणा है, लेकिन इसकी भारत में शुरुआत की जानी अभी बाकी है।

विश्व स्तर पर, स्कूल जोखिम वाले सड़क उपयोगकर्ता क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। आंकड़ों के अनुसार, सड़क यातायात से संबंधित चोटें 0-14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में 37-38 प्रतिशत और 14-18 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में 62-64 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार होती हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में, 18 वर्ष से कम आयु के स्कूली बच्चों के हताहत होने की दर में लगातार वृद्धि हुई है, जो साल 2017 में 6.4 प्रतिशत, 2018 में 6.6 प्रतिशत और 2019 में 7.4 प्रतिशत रही।

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया के साथ साझेदारी में प्रायोगिक आधार पर भायखला के मिर्जा गालिब रोड पर एक सुरक्षित स्कूल क्षेत्र की पहल शुरु की है और इसे डिजाइन किया है।

सस्टेनेबल सिटीज एंड ट्रांसपोर्ट के सीनियर मैनेजर धवल अशर ने कहा, ‘‘यह पहल तीन हफ्ते पहले शुरू की गई। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को स्कूल तक सुरक्षित पहुंच प्रदान करने के तरीकों की पहचान करना था।’’

जिन स्कूलों में अब तक सुरक्षित क्षेत्र बनाए गए हैं या शुरू किए गए हैं, उनमें बेंगलुरु का 116 साल पुराना फोर्ट हाईस्कूल, चामराजपेट है, दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित एनपी बॉयज़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, ज्ञान प्रबोधिनी प्रशाला, सिल्वर क्रेस्ट स्कूल, पुणे और गुरुग्राम में एक स्कूल शामिल है।

इस योजना के हितधारकों ने इसे एक पूर्ण कार्यक्रम बनाने के लिए सरकार को प्रस्ताव देने से पहले अगले साल देश भर में कम से कम 100 स्कूलों में यह पहल करने की योजना बनाई है।

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Web Title: Road Safety: 'Safe School Zone' launched on pilot basis in five cities

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