RIP CDS General Bipin Rawat: चाचा भरत सिंह रावत को अफसोस, भतीजे ने 2022 में गांव आने का किया वादा, मकान बनाने की हसरत अधूरी

By भाषा | Published: December 8, 2021 09:14 PM2021-12-08T21:14:07+5:302021-12-08T21:19:31+5:30

RIP CDS General Bipin Rawat: भरत सिंह रावत (70) ने बताया कि जनरल रावत का अपने गांव और घर से काफी लगाव था और बीच—बीच में वह उनसे फोन पर भी बात किया करते थे।

RIP CDS General Bipin Rawat Uncle Bharat Singh Rawat regrets nephew promised village in 2022 build a house is incomplete | RIP CDS General Bipin Rawat: चाचा भरत सिंह रावत को अफसोस, भतीजे ने 2022 में गांव आने का किया वादा, मकान बनाने की हसरत अधूरी

रावत ने बताया कि इस दौरान उन्होंने यहां कुलदेवता की पूजा की थी।

Highlights पैतृक सैणा गांव में केवल उनके चाचा का ही परिवार रहता है। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष अपने पैतृक गांव में एक मकान भी बनाना चाहते थे।जनरल रावत आखिरी बार अपने गांव थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे।

RIP CDS General Bipin Rawat: तमिलनाडु में एक हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने वाले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के उत्तराखंड स्थित पैतृक गांव सैणा में रहने वाले चाचा भरत सिंह रावत को अफसोस है कि उनके भतीजे की अगले साल अप्रैल में यहां आने और मकान बनाने की हसरत अधूरी रह गयी।

पौड़ी जिले के द्वारीखाल प्रखंड के कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक सैणा गांव में केवल उनके चाचा का ही परिवार रहता है। सैणा गांव में कुल तीन मकान हैं, जिनमें से एक में उनका परिवार रहता है, जबकि दो अन्य खाली पडे़ हैं।

रूंधे गले से भरत सिंह रावत (70) ने बताया कि जनरल रावत का अपने गांव और घर से काफी लगाव था और बीच—बीच में वह उनसे फोन पर भी बात किया करते थे। जनरल रावत ने अपने चाचा को बताया था कि वह अप्रैल 2022 में फिर गांव आएंगे। उन्होंने बताया कि प्रमुख रक्षा अध्यक्ष अपने पैतृक गांव में एक मकान भी बनाना चाहते थे।

आँखों से बहते आंसुओं को पोंछते हुए रावत ने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उनके भतीजे की हसरतें अधूरी रह जाएंगी। उन्होंने बताया कि जनरल रावत आखिरी बार अपने गांव थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे जहां वह कुछ समय ठहर कर वह उसी दिन वापस चले गए थे।

रावत ने बताया कि इस दौरान उन्होंने यहां कुलदेवता की पूजा की थी। दिवंगत शीर्ष सैन्य अधिकारी के चाचा ने बताया कि उसी दिन उन्होंने अपनी पैतृक भूमि पर एक मकान बनाने की सोची थी और कहा था कि कि वह जनवरी में सेवानिवृत्त होने के बाद यहां मकान बनाएंगे और कुछ समय गांव की शांत वादियों में व्यतीत करेंगे।

जनरल रावत के निधन की सूचना मिलने के बाद से सैणा का माहौल गमगीन है और उनके चाचा, चाची, चचेरा भाई और उनकी पत्नी सबकी आंखों से अश्रुधारा बह रही है। आसपास के गांवों से सांत्वना देने पहुंचे लोगों की आंखें भी नम हैं।

उन्होंने बताया कि बिपिन गरीबों के प्रति बड़े दयालु थे और बार बार उनसे कहते थे कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने क्षेत्र के गरीबों के लिए कुछ करेंगे ताकि उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके । उनके मन में ग्रामीण क्षेत्र से हुए पलायन को लेकर भी काफी दुःख था। 

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