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यूपी की पूर्व CM मायावती के सचिव रहे सेवानिवृत्त IAS नेतराम की 230 करोड़ की ‘बेनामी’ संपत्ति जब्त

By भाषा | Updated: September 24, 2019 20:58 IST

विभाग ने दिल्ली, नोएडा, कोलकाता और मुंबई में कुल 19 अचल संपत्ति जब्त की है। अधिकारी ने बताया कि बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध कानून, 1988 की धारा 24(तीन) के तहत विभाग की दिल्ली जांच इकाई ने नेतराम के खिलाफ जब्ती का अस्थायी आदेश जारी किया है।

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ठळक मुद्देविभिन्न जटिल कंपनियों के जरिए विभिन्न बेनामी संपत्ति में अपनी ‘अघोषित नकदी’ का निवेश किया था। बसपा सुप्रीमो मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीर्ष पदों पर रह चुके अधिकारी के ठिकानों पर पहली बार आयकर विभाग ने इस साल मार्च में छापा मारा था।

आयकर विभाग ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सचिव रहे सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नेत राम की 230 करोड़ की ‘बेनामी’ संपत्ति जब्त की है।

आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विभाग ने दिल्ली, नोएडा, कोलकाता और मुंबई में कुल 19 अचल संपत्ति जब्त की है। अधिकारी ने बताया कि बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध कानून, 1988 की धारा 24(तीन) के तहत विभाग की दिल्ली जांच इकाई ने नेतराम के खिलाफ जब्ती का अस्थायी आदेश जारी किया है।

जब्त की गयी संपत्ति वाणिज्यिक और रिहाइशी दोनों तरह की हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच से पता चला है कि पूर्व अधिकारी ने अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम का इस्तेमाल करते हुए अपने करीबी सहयोगियों की मदद से उनके नियंत्रण वाली विभिन्न जटिल कंपनियों के जरिए विभिन्न बेनामी संपत्ति में अपनी ‘अघोषित नकदी’ का निवेश किया था।

बसपा सुप्रीमो मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीर्ष पदों पर रह चुके अधिकारी के ठिकानों पर पहली बार आयकर विभाग ने इस साल मार्च में छापा मारा था। विभाग ने इन छापों में 1.64 करोड़ रुपये की नकदी, 50 लाख रुपये की मो ब्लां कलम और पांच महंगी एसयूवी की जब्ती की थी और दावा किया था कि अधिकारी की 300 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति से जुड़े कागजात बरामद किए थे।

विभाग की दिल्ली इकाई ने बेनामी लेनदेन रोधी कानून के तहत मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी । यह कानून 1988 से निष्क्रिय पड़ा हुआ था और मोदी सरकार ने नवंबर 2016 से इसे लागू किया । बेनामी संपत्ति वे हैं जिनमें वास्तविक लाभार्थी वह नहीं होते जिनके नाम पर संपत्ति खरीदी गई हो।

इस कानून का उल्लंघन करने वालों को सात साल तक कठोर कारावास की सजा हो सकती है और संपत्ति के उचित बाजार मूल्य का 25 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है। 

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