'आरक्षण को राजनीति का खेल बनने की इजाजत नहीं दे सकते हैं', सुप्रीम कोर्ट ने 'कोटे में कोटा' को 'खतरनाक तुष्टिकरण' का हथियार बताते हुए कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 9, 2024 08:21 AM2024-02-09T08:21:30+5:302024-02-09T08:25:08+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर हो रही सियासत पर बेहद तीखा हमला करते हुए कहा कि इसे "राजनीति" का हथियार नहीं बनाया जा सकता है।

'Reservation cannot be allowed to become a political game', Supreme Court says, calling 'quota within quota' a weapon of 'dangerous appeasement' | 'आरक्षण को राजनीति का खेल बनने की इजाजत नहीं दे सकते हैं', सुप्रीम कोर्ट ने 'कोटे में कोटा' को 'खतरनाक तुष्टिकरण' का हथियार बताते हुए कहा

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर हो रही सियासत पर बेहद तीखा हमला किया देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आरक्षण को "राजनीति" का हथियार नहीं बनाया जा सकता हैसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य यह तय नहीं कर सकते कि किसे एससी/एसटी के तहत आरक्षण न मिले

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर हो रही सियासत पर बेहद तीखा हमला करते हुए कहा कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के भीतर उपवर्गीकरण आरक्षण (कोटे में कोटा) को "राजनीति" का हथियार नहीं बनाया जा सकता है।

देश की सर्वोच्च अदालत में बीते गुरुवार को सात जजों की बेंच ने सर्वसम्मती से कहा, "राज्यों को यह चुनने का अधिकार नहीं है कि एससी/एसटी आरक्षण के तहत किसी जाति या जनजाति को कोटा लाभ से पूरी तरह से वंचित करना है।"

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार एससी/एसटी वर्ग के भीतर कोटे की इजाजत को लेकर दायर की गई कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि यदि ऐसा होता तो अदालत दिशानिर्देशों का एक सेट निर्धारित करती।

पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, उन्होंने कहा, “मान लीजिए कि एक राज्य कहता है कि 86 जातियों में से हम केवल सात की पहचान कर रहे हैं। क्या आप अन्य लोगों को छोड़ सकते हैं, जिनकी परिस्थितियाँ समान हैं? क्या राज्य ऐसा कर सकते हैं? आम तौर पर कम समावेशिता को एक सिद्धांत के रूप में अनुमति दी जाती है। इसलिए हमें नहीं लगता कि वह सिद्धांत यहां लागू हो सकता है।''

इसके साथ बेंच ने यह भी कहा कि राज्यों को पूर्ण कोटा लाभ के लिए आरक्षित श्रेणियों की सूची से केवल कुछ जातियों का चयन करने की अनुमति देने से "खतरनाक तुष्टिकरण" की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।

कोर्ट ने कहा, “सबसे पिछड़े लोगों को लाभ प्रदान करके, आप यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि जो सबसे पिछड़े हैं, उनमें से कुछ को ही लाभ दिया जाए जबकि अन्य को छोड़ दिया जाए। अन्यथा यह तुष्टीकरण की एक बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति बन जाती है। कुछ राज्य सरकारें कुछ जातियों को चुनेंगी, अन्य राज्य सरकारें कुछ अन्य को चुनेंगी। इसलिए कोर्ट का विचार यह है कि आरक्षण देने में राजनीतित खेल की अनुमति नहीं दी जा सकती है।''

अदालत ने कहा कि यदि कोटे में कोटे की अनुमति दी जाती है तो एससी/एसटी कैटेगरी के भीतर लाभ से वंचित जातियों के लिए राज्य सरकार के फैसले पर हमले करने के रास्ते खुले रहेंगे। इसके साथ ही पीठ ने मामले में कुछ पक्षों द्वारा उठाई गई चिंताओं को भी स्वीकार किया कि कोटे में कोटा का प्रावधान सकारात्मक कार्रवाई के बजाय राजनीतिक हथियार बन जाएगा।

Web Title: 'Reservation cannot be allowed to become a political game', Supreme Court says, calling 'quota within quota' a weapon of 'dangerous appeasement'

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