शोधकर्ताओं ने माइक्रोबियल ईंधन सेल से बिजली पैदा करने पर किया अनुसंधान
By भाषा | Published: September 21, 2021 09:32 PM2021-09-21T21:32:29+5:302021-09-21T21:32:29+5:30
नयी दिल्ली, 21 सितंबर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि शैवाल-आधारित प्रणालियों की तुलना में माइक्रोबियल ईंधन सेल अपशिष्ट जल से लाभकारी रूप से बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित, शोधकर्ताओं का अध्ययन हाल में ‘बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। तीन सदस्यीय टीम के अनुसार किसी भी सभ्य समाज में अपशिष्ट जल का उपचार एक महत्वपूर्ण गतिविधि है और बड़ी मात्रा में घरेलू अपशिष्ट पैदा होने की वजह से नयी उपचार विधियों का विकास जरूरी हो गया है।
जैविक अपशिष्ट पदार्थ में बहुत अधिक ऊर्जा होती है और घरेलू कचरे में उपचार की तुलना में नौ गुना अधिक ऊर्जा होती है। टीम ने दावा किया कि अपशिष्ट निस्तारण की प्रक्रिया के दौरान कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए पूरी दुनिया दिलचस्पी दिखा रही है।
आईआईटी जोधपुर की एसोसिएट प्रोफेसर मीनू छाबड़ा ने कहा, ‘‘माइक्रोबियल फ्यूल सेल (एमएफसी) एक ऐसा उपकरण है जो कार्बनिक पदार्थों को अपशिष्ट जल में सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए सूक्ष्म जीवों का उपयोग करता है। बिजली पैदा करने के लिए माइक्रोब्स का उपयोग करने का विचार 1911 में डरहम विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के एक प्रोफेसर माइकल पॉटर द्वारा प्रस्तावित किया गया था। ईंधन कोशिकाओं में इसका उपयोग एक हालिया विकास है और दो अलग-अलग समस्याओं-अपशिष्ट का निपटान और ऊर्जा उत्पादन को हल करने का मार्ग दिखाता है।’’
आईआईटी जोधपुर की टीम ने आगे माइक्रोबियल ईंधन कोशिकाओं का पता लगाने और अपशिष्ट जल का उपचार तथा वैकल्पिक बिजली उत्पादन में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने की योजना बनाई है।
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