झारखंड के महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाये जाने का अनुरोध

By भाषा | Updated: August 26, 2021 21:35 IST2021-08-26T21:35:12+5:302021-08-26T21:35:12+5:30

Request to initiate contempt case against Advocate General of Jharkhand | झारखंड के महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाये जाने का अनुरोध

झारखंड के महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाये जाने का अनुरोध

झारखंड के साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत के मामले की झारखंड उच्च न्यायालय में जारी सुनवाई की पिछली तारीख पर कथित रूप से ‘मर्यादा के प्रतिकूल व्यवहार’ करने के लिए राज्य सरकार के महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने के लिए प्रार्थी की ओर से अंतरिम आवेदन (इंटरलॉक्यूटरी एप्लिकेशन) दाखिल किया गया है। आवेदन में कहा गया है कि पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव कुमार और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार का व्यवहार अदालत की मर्यादा के प्रतिकूल था, इसलिए उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 31 अगस्त को निर्धारित की है। दिवंगत रूपा तिर्की के मामले की पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने न्यायमूर्ति एस के द्विवेदी से कहा था कि उन्हें अब इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि 11 अगस्त को मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता का माइक्रोफोन ऑन रह गया था और वह अपने मुवक्किल से कह रहे थे कि इस मामले का फैसला उनके पक्ष में आना तय है और दो सौ प्रतिशत इस मामले की सीबीआई जांच तय है। उन्होंने तर्क दिया कि जब प्रार्थी के वकील इस तरह का दावा कर रहे हैं, तो पीठ से आग्रह होगा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करें। अदालत ने महाधिवक्ता से कहा कि जो बात आप कह रहें हैं उसे शपथपत्र के माध्यम से न्यायालय में पेश करें, लेकिन महाधिवक्ता ने शपथपत्र दाखिल करने से इन्कार कर दिया और कहा कि उनका मौखिक बयान ही पर्याप्त है। इसके बाद पीठ ने महाधिवक्ता के बयान को रिकॉर्ड करते हुए इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया। इस दौरान पीठ ने कहा कि एक आम आदमी भी न्यायालय पर सवाल खड़ा करे तो यह न्यायपालिका के गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा था कि जब यह सवाल उठ गया है तो मुख्य न्यायाधीश को ही निर्धारित करना चाहिए कि इस मामले की सुनवाई किस पीठ में होगी। मुख्य न्यायाधीश डा रवि रंजन ने इस मामले को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति एस के द्विवेदी की पीठ में ही दोबारा भेजा है। रूपा तिर्की के पिता देवानंद उरांव ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। उनका कहना है कि रूपा तिर्की ने आत्महत्या नहीं की है, बल्कि उनकी हत्या की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस इसे प्रेम प्रसंग का मामला बता कर आत्महत्या का रंग दे रही है, उनकी बेटी की मौत के बाद जिस परिस्थिति में शव मिला था उससे प्रतीत होता है कि वह आत्महत्या नहीं है। न्यायालय को बताया गया कि साहिबगंज में पंकज मिश्रा नामक व्यक्ति संदेह के घेरे में है जो राजनीतिक रसूख वाला है । माना जाता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी उसकी बहुत निकटता है। रूपा की मौत के बाद एसआइटी प्रमुख पुलिस उपाधीक्षक से पंकज मिश्रा की कई बार बात हुई है। प्रार्थी देवानंद के अधिवक्ता ने अदालत में पंकज मिश्रा का कॉल डिटेल पेश करते हुए कहा कि पुलिस उपायुक्त, अधीक्षक और पुलिस उपाधीक्षक के साथ उसकी लगातार बात हुई है। अदालत को बताया गया कि रूपा तिर्की कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच कर रही थी और इसी कारण उनकी हत्या की साजिश रची गई और जिसमें पंकज मिश्रा और कुछ पुलिस वाले शामिल हैं।

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Web Title: Request to initiate contempt case against Advocate General of Jharkhand

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