उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा सचिव को सौंपा महाभियोग प्रस्ताव, CJI नहीं करेंगे खुद को न्यायिक कार्य से अलग
By रामदीप मिश्रा | Published: April 22, 2018 12:28 PM2018-04-22T12:28:12+5:302018-04-22T12:28:12+5:30
कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया है।
नई दिल्ली, 22 अप्रैलः कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ गए महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राज्यसभा के सचिव को सौंप दिया है। इधर, सीजेआई दीपक मिश्रा ने फैसला किया है कि वे सर्वोच्च न्यायालय में प्रशासनिक और न्यायिक कार्य से खुद को अलग नहीं करेंगे।
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई का कहना है कि उन्हें बड़ी संख्या में वकीलों का समर्थन प्राप्त है, जिससे वह आश्वस्त हैं। उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना और ओछे आरोप लगाना राजनीतिक से प्रेरित हैं। उन्हें सीजेआई के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने के लिए यह सब किया गया है।
इधर, उपराष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा सचिव को महाभियोग प्रस्ताव सौंपने के बाद उसका अध्ययन करके समीक्षा की जाएगी। नियमों के मुताबिक, राज्यसभा सदस्यों द्वारा दिए गए महाभियोग प्रस्ताव को सभापति द्वारा इसे स्वीकृति मिलने और राज्यसभा सदस्यों तक इसे पहुंचाने की प्रक्रिया से पहले सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। साथ ही मामले को लेकर सदन के अंदर की कार्यवाही पर किसी भी अदालत में सुनवाई नहीं हो सकती।
आपको बता दें कि कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया है। किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की कार्यवाही का यह पहला मौका नहीं है। इससे पहले तीन मौकों पर उस वक्त महाभियोग प्रस्ताव लाए गए थे जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में थी। उस वक्त कांग्रेस ने कार्यवाही का विरोध किया था। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वो न्यायपालिका का राजनीतिकरण कर रही है। वहीं, विपक्षी दलों और कांग्रेस के अंदर भी महाभियोग प्रस्ताव को लेकर मतभेद है।