अमेरिकी रिपोर्ट का दावा, भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों ने 2017 में खुद को असुरक्षित महसूस किया

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: May 30, 2018 09:11 IST2018-05-30T09:11:05+5:302018-05-30T09:11:05+5:30

भारत में अल्पसंख्यकों को असुरक्षित अक्सर कहा जाता है। भारत में भी इस तरह की बातें होती रही हैं। कहा जाता रहा है कि देश में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से अल्पसंख्यक असुरक्षित हुए हैं।

religious minority communities in india felt increasingly vulnerable in 2017 us report | अमेरिकी रिपोर्ट का दावा, भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों ने 2017 में खुद को असुरक्षित महसूस किया

अमेरिकी रिपोर्ट का दावा, भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों ने 2017 में खुद को असुरक्षित महसूस किया

भारत में अल्पसंख्यकों को असुरक्षित अक्सर कहा जाता है। भारत में भी इस तरह की बातें होती रही हैं। कहा जाता रहा है कि देश में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से अल्पसंख्यक असुरक्षित हुए हैं। ऐसे में अब एक विदेशी रिपोर्ट में भी इस बात का दावा किया गया है। दरअसल हाल ही में अमेरिका की एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर आधारित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2017 में हिंदू राष्ट्रवादी समूहों की हिंसा के कारण अल्पसंख्यक समुदायों ने खुद को सबसे ज्यादा असुरक्षित महसूस किया  है। 

इस रिपोर्ट में भारत के 2017 के कुछ प्रकरणों को भी पेश किया गया है। इतना ही नहीं अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा अधिकृत 2017 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां की सरकार ने केवल कुछ ही  हिंसा की घटनाओं के खिलाफ बोला है, लेकिन स्थानीय नेताओं ने शायद ही ऐसा किया और कई बार ऐसी सार्वजनिक टिप्पणियां कीं जिनका मतलब हिंसा की अनदेखी करने से निकाला जा सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक समाज के लोगों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों ने कहा है कि मौजूदा सरकार के अधीन धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों ने गैर हिंदुओं एवं उनके पूजास्थलों के खिलाफ हिंसा में शामिल हिंदू राष्ट्रवादी समूहों के कारण खुद को काफी असुरक्षित महसूस किया। वह सरकार के कारण खुद को अधीन महसूस कर रहे हैं। साथ ही 

रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुछ अधिकारियों ने अक्सर ही गोवध या गैरकानूनी तस्करी या गौमांस के सेवन के संदिग्ध लोगों जिनमें अधिकतर मुसलमानों के प्रति गोरक्षकों की हिंसा के खिलाफ मामले नहीं दर्ज किए। हैं। साथ ही कहा गया है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय में मुस्लिम शिक्षा संस्थानों के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती देना जारी रखा। अल्पसंख्यक दर्जे से इन संस्थानों को कर्मचारियों की नियुक्ति एवं पाठ्यक्रम संबंधी फैसलों में स्वतंत्रता मिली हुई है। 

रिपोर्ट में कहा गया कि 13 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोमांस व्यापारियों , गोमांस के उपभोक्ताओं एवं डेयरी किसानों पर भीड़ द्वारा किए गए जानलेवा हमले की निंदा करते हुए कहा कि गोरक्षा के नाम पर लोगों की जान लेना अस्वीकार्य है।

 इसमें कहा गया कि सात अगस्त को तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था कि देश में दलित , मुसलमान और ईसाई खुद को काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने 10 अगस्त को एक साक्षात्कार में भी कहा कि देश में मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनकी टिप्पणियों के लिए भाजपा और हिंदू राष्ट्रवादी समूहों ने उनकी आलोचना की।

 साथ ही रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ‘ ओपन डोर्स ’ के स्थानीय भागीदारों द्वारा जुटाए गए आंकड़े के मुताबिक साल के पहले छह महीने में सामने आयीं 410 घटनाओं में ईसाइयों को प्रताड़ित किया गया , डराया धमकाया गया या धर्म को लेकर उनपर हमला किया गया। वहीं, 2016 में इस तरह की 441 घटनाएं हुई थीं। इसमें कहा गया कि 2017 में जनवरी से लेकर मई के बीच गृह मंत्रालय ने धार्मिक समुदायों के बीच 296 संघर्ष होने की सूचना दी। संघर्षों में 44 लोग मारे गए और 892 घायल हुए।

(इनपुट भाषा)

Web Title: religious minority communities in india felt increasingly vulnerable in 2017 us report

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