नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज रेपो रेट घटाने का ऐलान किया है। कोरोना संकट के बीच पैदा हुई विपरीत परिस्थितियों पर आरबीआई गवर्नर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। आरबीआई गवर्नर कोरोना संकट के बीच ग्राहकों को राहत देने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दे रहे हैं। गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने पॉलिसी रेट में कटौती का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि रेपो रेट में 40 आधार अंकों की कटौती का फैसला किया गया है और अब नया रेपो रेट 4.40 फीसदी से घटकर 4 फीसदी पर आ गया है। इससे भविष्य में लोन की ब्याज दरें घटेंगी और लोगों की सस्ती दर पर कर्ज मिल सकेगा। इसके साथ ही आरबीआई ने लोन की किस्त चुकाने में छूट का समय 3 महीने और बढ़ा दिया है। ग्राहकों को किस्त में छूट की स्कीम का अगस्त तक फायदा मिलता रहेगा।
रेपो रेट में कटौती के साथ आरबीआई गवर्नर ने रिवर्स रेपो रेट में भी 40 आधार अंकों की कटौती का ऐलान किया है। इस कटौती के बाद रिवर्स रेपो रेट 3.75 फीसदी से घटकर 3.35 फीसदी पर आ गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट घटाने के फैसले का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस की वजह से दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। अप्रैल में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई घटकर 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। डब्ल्यूटीओ के मुताबिक, दुनिया में कारोबार इस साल 13-32% तक घट सकता है।
गवर्नर ने मौद्रिक नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि दो महीने के लॉकडाउन ने देश की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित किया है। आर्थिक गतिविधियों में 60% का योगदान देने वाले 6 राज्यों के ज्यादातर इलाके रेड और ऑरेंज जोन में हैं। इन राज्यों की इंडस्ट्री का आर्थिक गतिविधियों में बड़ा योगदान होता है।
दास ने कहा कि आरबीआई देश की आर्थिक गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए है। देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े हर सेगमेंट पर आरबीआई की टीम की निगरानी बना हुए है। इस आपदा के दस्तक देने के बाद आरबीआई ने लिक्विडिटी के मोर्चे पर कई फैसले लिए हैं। कोरोना के असर को देखते हुए 2020-21 की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव रहने का अनुमान है। दूसरी छमाही में कुछ तेजी आ सकती है।