आरबीआई ने की घोषणा, अब ई-कामर्स साइट नहीं रख पायेंगे आपका निजी डाटा, जाने सबकुछ
By वैशाली कुमारी | Updated: August 21, 2021 14:13 IST2021-08-21T14:13:12+5:302021-08-21T14:13:12+5:30
संशोधित नियम भुगतान एग्रीगेटर्स और व्यापारियों जैसे अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और नेटफ्लिक्स को ग्राहक के कार्ड की जानकारी को सर्वर या डेटाबेस पर स्टोर नहीं कर पायेंगे।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डेटा स्टोर करनें की नीति को संशोधित करते हुए नये दिशानिर्देशों को जारी कर दिया है। आरबीआई ने नए नियमन के संबंध में पेमेंट गेटवे कंपनियों द्वारा किए गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। यह 2022 के जनवरी से लागू हो सकता है। संशोधित नियम भुगतान एग्रीगेटर्स और व्यापारियों जैसे अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और नेटफ्लिक्स को ग्राहक के कार्ड की जानकारी को सर्वर या डेटाबेस पर स्टोर नहीं कर पायेंगे। नए बदलाव का मतलब यह भी है कि डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड वाले ग्राहकों को हर बार लेन-देन करने के लिए अपने 16 अंकों के कार्ड नंबर को याद करना होगा। इस बदलाव का मकसद कार्ड की जानकारी को सुरक्षित करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि पेमेन्ट करने के बाद ऑपरेटर सिस्टम पर डेटा स्टोर तो नहीं कर रहे हैं।
अब आपको याद रखना होगा अपने क्रेडिट/डेबिट कार्ड की डिटेल्स
अगर यह बदलाव जनवरी 2022 से हो रहा है, तो ग्राहकों को प्रत्येक लेनदेन के लिए अपने कार्ड की समाप्ति तिथि और सीवीसी के साथ अपना 16 अंकों का कार्ड नंबर दर्ज करना होगा। यही नियम मर्चेंट वेबसाइट या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी लागू होंगे। यह उन ग्राहकों के लिए समस्या का विषय बन जायेगा जिनके पास एक से ज्यादा कार्ड हैं या जिनके पास एक से अधिक सब्सक्रिप्शन चल रहे हैं। ई-कॉमर्स भुगतान के बाद ग्राहक की ये जानकारियाँ अपने पास स्टोर करके रखती है। जिससे ये ग्राहक को उसी के अनुसार विज्ञापन दिखाती हैं। लेकिन RBI ने अब यह परिवर्तन करते हुये डाटा स्टोर करने पर पाबंदी लगा दी है।
यूपीआई की ओर करना होगा रुख:
अब अधिक सुरक्षा के साथ चेकआउट या लेन-देन की प्रक्रिया लंबी हो गई है। इसलिये UPI से भुगतान, ग्राहकों के लिए अधिक पसंदीदा तरीका बन सकता है। हाल के वर्षों में UPI भुगतान से पेमेन्ट करना काफी लोकप्रिय हो गया है। इसलिए डेबिट कार्ड वाले ग्राहकों के लिए मर्चेंट प्लेटफॉर्म पर भुगतान करने के लिए यूपीआई का उपयोग करना अधिक आसान हो सकता है।
क्या बदलाव आयेगा?
चूंकि नए नियम अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुए हैं, इसलिये अभी मर्चेंट साइट्स और पेमेंट गेटवे यूजर को अपने डेटा को अपने डेटाबेस पर स्टोर करने की अनुमति देते हैं। आमतौर पर, यह सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के साथ किया जाता है। अब नये नियम के तहत आरबीआई ने इसे खारिज कर दिया। RBI बैंक जुलाई में ही इन नए नियमों को लाना चाहता था, लेकिन बैंक अभी तक इसके लिए तैयार नहीं थे इस कारण इसे छह महीने के लिए स्थगित करना पड़ा था।